“स्वयं पर विचार करें कि आप जिस परिवर्तन को ढूँढ रहे हैं, उसे आपने पा लिया है!” लारेन्स मार्टिन द्वारा

9 जून, 2023

योगदा सत्संग पत्रिका के अप्रैल-जून 2004 के अंक में छपे लेख “अपने जीवन की पुनर्रचना : आठ आत्म-परिवर्तन की कारगर नीतियाँ” से उद्धृत एक अंश निम्नलिखित है। लंबे समय से एसआरएफ़ के क्रियाबान भक्त लॉरेंस मार्टिन दक्षिणी कैलिफोर्निया में रहते हैं।

यह एक विराम लेने और अपने साथ होने वाले आंतरिक संवाद पर ध्यान देने का समय है। जब आप अपने आप से बात करते हैं, तो आप क्या कहते हैं? क्या आप सराहनीय हैं? क्या आप प्रेरणादायक हैं?

नकारात्मक आत्म-चर्चा हम में संदेह, अनिश्चितता, चिंता और आत्म विश्वास की कमी उत्पन्न करती है। सकारात्मक आत्म-चर्चा शक्तिशाली नए संदेश प्रदान करती है जो हमें अंतर्निहित चिंताओं और चुनौतियों को दूर करने, आत्मविश्वास प्राप्त करने में सहायता करती है, तथा साथ ही साथ हमारे स्वरूप में, कार्यों और भावनाओं में हमारा नियंत्रण अधिक होता है।

आत्म-चर्चा के प्रकारों पर ध्यान देना

“व्हाट टू से व्हेन यू टॉक टू योरसेल्फ़” पुस्तक में प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक शैड हेल्म्सटेटर (पी.एच.डी.) ने स्वयं से वार्तालाप के अनेक स्तर बताए हैं जिससे हम अपने अवचेतन मन को संचालित करते हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि किस प्रकार के “मैं” कथन को आप अपने मन में आत्मसात करते हैं, इस पर ध्यान दें :

— “मैं नहीं कर सकता” इस कथन को हेल्म्सटेटर ने निकृष्टतम माना है और विडंबना यह है कि यही सबसे अधिक प्रचलित “कार्यनीति” है जो हम आत्मसात करते हैं। यदि आप इस विचार पर ध्यान देंगे और इसका प्रयोग करेंगे तो आप नकारात्मक एवं स्वयं को सीमित कर देने वाले विचारों के स्थान पर, अपने सुधार के लिए, सकारात्मक लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं।

— “मुझे करना चाहिए” कथन बेहतर है फिर भी बुनियादी रूप से नकारात्मक है। हेल्म्सटेटर का कथन है, क्योंकि आपने समस्या को तो समझ लिया है परन्तु उसके समाधान पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

— “मैं कभी नहीं” या “मैं आगे भी नहीं” इस स्तर पर, स्वयं से वार्तालाप आपके लिए प्रतिकूल होने के बजाय अनुकूल हो जाता है — हेल्म्सटेटर का यही कथन है। आपने स्वयं को बदलने की आवश्यकता को समझ लिया है और इसके विषय में कुछ करने का निर्णय भी ले लिया है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आप स्वयं को अपने प्रति अभिव्यक्त करते हैं। आपमें बदलाव आ चुका है जो अवचेतन मन को कार्यान्वित करने में सहायक होगा।.

— “मैं हूँ” यहाँ पर आप अपने अवचेतन मन के समक्ष अपनी नई छवि का प्रतिवेदन कर रहे हैं। यह आत्म-परिवर्तन के लिए आपके आदर्शों और लक्ष्यों की पूर्ति है। इस प्रकार का स्वयं से वार्तालाप करना स्तर 1 का उल्टा है; यह आपके अवचेतन मन की शक्ति को आपकी सहायता के लिए अग्रसर करता है। यह आपको नकारात्मक मनोवैज्ञानिक भावनात्मक भँवर में फँसने से बचाता है।

अभी प्रारम्भ करें, अभी प्रयास करें — और अपना जीवन परिवर्तित करें

पनी आत्म-चर्चा पर अविलम्ब ध्यान दें। अगली बार अपने लिए की गयी नकारात्मक टिप्पणी पर ध्यान दें; और अपने कथन को कुछ सकारात्मक स्वरूप देने का प्रयास करें। और अपने ख़ाली समय के दौरान मानस दर्शन और प्रतिज्ञापन का अभ्यास करें — अपने जीवन में आप जो परिवर्तन करना चाहते हैं, उसका चित्रण और वर्णन करें। आप अंततः नकारात्मक आंतरिक संवाद को मध्य-वाक्य में विराम देने में सक्षम हो जाएंगे।

आध्यात्मिक गौरव ग्रन्थ योगी कथामृत के लेखक परमहंस योगानन्दजी द्वारा सृजित, योगदा सत्संग ने उच्चतर चेतना के साधकों को योग के कालातीत सार्वभौमिक सत्य, आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने के प्राचीन भारतीय विज्ञान और सद्भाव और भलाई का जीवन जीने से परिचित कराया है। योगदा सत्संग वर्तमान में सदस्यता विकल्प के साथ एक वार्षिक प्रिंट अंक है जो परमहंसजी, पूर्व और वर्तमान वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्षों, और अन्य पसंदीदा एसआरएफ़ और वाईएसएस लेखकों के पिछले लेखों का एक व्यापक ऑनलाइन संग्रह प्रदान करता है।

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