परमहंस योगानन्दजी द्वारा अंतर्ज्ञान की सहायता से स्वयं के जीवन का मार्गदर्शन

20 मार्च, 2023

अपने सुयोग्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में, हमें कई निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। जब हम जीवन में आगे बढ़ते हैं तो अच्छे विकल्प चुनने के लिए हम किस सर्वोत्तम संसाधन पर भरोसा कर सकते हैं?

हम सभी प्रतिदिन हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाले संवेदी व्याकुलताओं की एक श्रृंखला का सामना करते हैं — जो अपने आगे के मार्ग को स्पष्ट रूप से देखने की हमारी क्षमता को चुनौती देते हैं — और यह पूछना स्वाभाविक है : कि “मन की शांति पाना तो दूर, मैं कार्य करने की सही दिशा को कैसे जानूँ ?”

परमहंस योगानन्दजी ने सिखाया कि हम में से प्रत्येक के भीतर एक “छठी इंद्रिय” छिपी हुई है, जो अंतर्ज्ञान का शक्तिशाली प्रकाश है। उन्होंने कहा, “अंतर्ज्ञान आत्मा को स्वयं का ज्ञान (आत्म-साक्षात्कार) देता है। अंतर्ज्ञान, संसार की उलझनों के बीच सत्य और कर्तव्य की स्पष्ट समझ भी प्रदान करता है।”

यद्यपि परिशुद्ध अंतर्ज्ञान विकसित करने में समय लगता है, वाईएसएस/एसआरएफ़ की तीसरी अध्यक्ष श्री दया माता ने हमें आश्वासन दिया है कि “जैसे-जैसे आप ध्यान का अभ्यास करते रहेंगे, और इस अभ्यास से प्राप्त आंतरिक शांति की स्थिति में रहने का अधिक प्रयास करेंगे, आप अपनी अंतर्ज्ञान की शक्ति के विकास को बढ़ता हुआ पाएंगे।”

इसलिए, यदि आप अधिक जानने के लिए तत्पर हैं, तो एक गहरी, शांत सांस लें और परमहंसजी के इस ज्ञान, कि कैसे अंतर्ज्ञान से आप अपने जीवन का मार्गदर्शन करने के लिए आत्मा-अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अपने भीतर दिव्यता की उपस्थिति को अनुभव कर सकते हैं, को आत्मसात करें।

परमहंस योगानन्दजी के व्याख्यानों और लेखों से :

जितना अधिक आप ध्यान करते हैं और अपने मन को ईश्वरीय चेतना के अनुरूप रखते हैं, आपका अंतर्ज्ञान उतना ही शक्तिशाली होता जाता है। इसके साथ-साथ, जो लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखते हैं और जो भीतर से शांत हैं, उनके पास अधिक उत्कट अंतर्ज्ञानी शक्तियां हैं।

हमेशा याद रखें : सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप जीवन के अंधेरे रास्ते पर चलते हैं तो उस अंतर्ज्ञान की क्षमता को विकसित करें। वह केवल ध्यान से ही प्राप्त हो सकती है; और कोई उपाय नहीं है। जब मैं अंतर्ज्ञान का उपयोग करता हूं तो यह हमेशा मुझे सही निर्णय लेने में सहायता करता है। यह कभी असफल नहीं होता।

यह अंतर्ज्ञान आपके समक्ष एक आंतरिक स्वर, या फुसफुसाहट के रूप में आता है। आपको उस आंतरिक मार्गदर्शन और अवचेतन मन के भ्रमपूर्ण काल्पनिक स्वरों के अंतर को समझने के लिए सचेत रहना चाहिए।

अन्तर्ज्ञान आत्मा द्वारा मार्गदर्शन है, जो मनुष्य में उन क्षणों में स्वाभाविक रूप से प्रकट होता है; जब उसका मन शांत होता है।…योग विज्ञान का लक्ष्य मन को शांत करना है, ताकि विकृत हुए बिना यह आन्तरिक वाणी के अचूक परामर्श को सुन सके।

जब हम परमपिता परमात्मा को जान लेंगे, तब हम केवल अपनी समस्याओं के उत्तर ही नहीं, अपितु संसार की समस्याओं के उत्तर भी प्राप्त कर लेंगे। हम क्यों जीते हैं और क्यों मर जाते हैं? वर्तमान की घटनाएँ क्यों हैं और भूतकाल की क्यों थी? मुझे शंका हैं कि शायद ही कभी कोई ऐसा सन्त इस धरा पर आएगा जो सभी मनुष्यों के सभी प्रश्नों के उत्तर देगा। परन्तु ध्यान के मन्दिर में जीवन की प्रत्येक उलझन का, जो हमारे हृदय को व्यथित करती है, समाधान हो जाएगा। जब हम ईश्वर के सम्पर्क में आएँगे, हम जीवन की पहेलियों के उत्तरों को जान लेंगे और अपनी सभी कठिनाइयों के समाधान प्राप्त कर लेंगे।

[योगदा सत्संग पाठों में एक प्रार्थना-प्रतिज्ञापन से :]
“प्रिय परमपिता, अपने मन के एकांत में मैं आपकी वाणी सुनने के लिए तड़प रहा हूँ। अपने मौन रुपी होठों को खोलो और मेरी आत्मा में अपने निरंतर मार्गदर्शक विचारों को फुसफुसाओ।”

आप हमारी वेबसाइट पर परमहंस योगानन्दजी द्वारा “आदर्श-जीवन” शिक्षाओं में अंतर्ज्ञान पर अधिक सहज और उन्नत करने वाला मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। हम आपको उनकी शाश्वत प्रज्ञा को प्राप्त करने और ध्यान के अपने अभ्यास के साथ उस प्रेरणा को संयोजित करने के लिए आमंत्रित करते हैं।

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