आज ही शांति का अनुभव करने के लिए एक टूलकिट

8 सितम्बर, 2023

आप शांति को खरीद नहीं सकते; आपको अपने भीतर ध्यान के दैनिक अभ्यास में होने वाली स्थिरता में इसका निर्माण करना सीखना चाहिए।

— परमहंस योगानन्द

इस पृष्ठ पर आपको परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं के ज्ञान-भंडार से ली गई प्रविधियाँ और निर्देशित ध्यान मिलेंगे, जो आपको अपने भीतर शांति का “निर्माण” तुरंत प्रारम्भ करने में सहायता करेंगे :

  • शरीर को विश्रांति देना (मांसपेशियों से तनाव दूर करना)
  • मानसिक विश्राम के लिए मौन के एक सुरक्षात्मक विराम का निर्माण करना
  • स्वयं को शांति में स्थापित करना
  • आंतरिक शांति पर निर्देशित ध्यान में लंबे समय तक निमग्न रहना
  • अपनी शांति बनाए रखने के लिए श्री मृणालिनी माता से ज्ञान आत्मसात करना

आप इस पृष्ठ की सामग्री से अपनी इच्छानुसार किसी भी क्रम में लाभ उठा सकते हैं। निःसंदेह शांति को जानने और साझा करने के लिए यहाँ दी गई विधियों या परमहंसजी के अन्य निर्देशों को दैनिक रूप से लागू करना ही सबसे अच्छा तरीका होगा — क्योंकि आप जो कुछ भी अनुभव करते हैं वह नियमित पुनरावृत्ति और अभ्यास से गहरा हो जाएगा।

शांति को आमंत्रित करने और अंतर् में जाने के लिए शरीर को शिथिल करें

परमहंस योगानन्दजी सिखाते हैं कि “तनावमुक्त और शांत शरीर मानसिक शांति को आमंत्रित करता है, जो कि ईश्वर के साथ संवाद की आध्यात्मिक कला, ध्यान के लिए आवश्यक है।” अपनी पुस्तक आंतरिक शांति: कैसे शांत रूप से सक्रिय और सक्रिय रूप से शांत रहें, में उन्होंने शरीर को विश्राम देने के लिए निम्नलिखित प्रविधियों को साझा किया है (जो शरीर को पुनः ऊर्जावान करने और पूर्ण विश्राम को बढ़ावा देने के विज्ञान पर आधारित सरलीकृत निर्देश हैं जो उन्होंने योगदा सत्संग पाठमाला में विस्तार से सिखाए हैं):

  • इच्छाशक्ति द्वारा तनाव करें : इच्छाशक्ति के आदेश से तनाव की प्रक्रिया द्वारा प्राणशक्ति को शरीर या उसके किसी भाग को आपूरित करने के लिए निर्देशित करें। उस ऊर्जा को वहाँ पर स्पन्दित होते, ऊर्जित करते, पुनरुज्जीवित करते हुए अनुभव करें।
  • तनावमुक्त हो जाएँ और अनुभव करें : तनाव को शिथिल करें, और उस ऊर्जित स्थान में नवजीवन और प्राणशक्ति की सुखदायी झुनझुनाहट का अनुभव करें। अनुभव करें कि आप शरीर नहीं हैं; आप वह प्राण हैं जो शरीर को जीवित रखता है। इस प्रविधि के अभ्यास से उत्पन्न होने वाली निश्चलता एवं उसके साथ आने वाली शांति, स्वतन्त्रता और बढ़ी हुई सजगता का अनुभव करें।
  • जब भी आप दुर्बल और विकल अनुभव करें, इसे 3 बार दोहराएँ :
    (क) श्वास लें, श्वास को रोक कर रखें।
    (ख) शरीर की सभी मांसपेशियों में एक साथ हल्का तनाव दें।
    (ग) पूरे शरीर पर गहनतापूर्वक एकाग्र करते हुए, 1 से 20 की गिनती तक तनाव को रोकें।
    (घ) श्वास छोड़ें, और तनाव-मुक्त हो जाएँ।

अपने व्यस्त दिन में कुछ क्षण आध्यात्मिक शांति के लिए निर्धारित करें — मानसिक विश्राम

इस वीडियो क्लिप में, एसआरएफ़ संन्यासिनी ब्रह्माणी माई ने परमहंस योगानन्दजी की वाईएसएस पाठमाला से एक बहुत ही छोटा सा अभ्यास साझा किया है, जो मानसिक विश्राम को प्रेरित करता है और मौन का एक क्षण बनाता है, हमारी व्यस्त दैनिक गतिविधियों के बीच एक सुरक्षात्मक विराम, ताकि हम अनुभव कर सकें — एक मिनट या उससे भी कम समय के लिए — ईश्वर के साथ शांतिपूर्ण संपर्क जो हमारी मानसिक स्थिति और कल्याण पर एक स्थायी प्रभाव बन सकता है।

अपने आप को शांति में स्थापित करें — निर्देशित ध्यान (लगभग 15 मिनट)

ध्यान की शांति में स्वयं को तल्लीन करना इस विषय पर सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप की संन्यासिनी करुणा माई, निर्देशित ध्यान का संचालन करते हुए। इस ध्यान में परमहंस योगानन्दजी द्वारा आंतरिक शांति: कैसे शांत रूप से सक्रिय और सक्रिय रूप से शांत रहें से प्रतिज्ञापन और मानसदर्शन सम्मिलित हैं।

जब आपको लगे कि आप मौन और शांति की चरम गहराई तक पहुँच गए हैं, तो और भी गहराई में जाएँ।

— परमहंस योगानन्द

आंतरिक शांति में गहराई से उतरें — निर्देशित ध्यान (लगभग 30 मिनट)

आपको परमहंस योगानन्दजी द्वारा दिए गए ध्यान और प्रतिज्ञापन में प्राप्त होने वाली शांति की गहराई का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करते हुए, सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप के संन्यासी स्वामी सेवानन्द गिरि आंतरिक शांति पर एक निर्देशित ध्यान का संचालन करते हुए। जैसा कि परमहंसजी ने कहा है : “अपनी आत्मा के अंतर्ज्ञान के माध्यम से ईश्वर की अभिव्यक्ति को अपनी व्याकुलता के बादलों के मध्य से महान् शांति और आनंद के रूप में फूटते हुए अनुभव करें।”

ध्यान में निम्नलिखित प्रतिज्ञापन का एक विस्तृत स्वरूप सम्मिलित है, जिसका आप अपने जीवन और विश्व में अधिक शांति अभिव्यक्त करने के लिए किसी भी समय स्वयं भी अभ्यास कर सकते हैं :

शांति मेरे शरीर को आच्छादित कर रही है; शांति मेरे हृदय में उमड़ रही है और मेरे प्रेम में निवास करती है; मेरे भीतर, बाहर सर्वत्र शांति ही शांति है।

अनन्त शांति मेरे जीवन को घेरे हुए है और मेरे जीवन के सभी पलों को सुवासित कर रही है।

मुझ पर शांति बनी रहे; मेरे परिवार पर शांति बनी रहे; मेरे देश पर शांति बनी रहे; मेरे संसार पर शांति बनी रहे; मेरे ब्रह्माण्ड पर शांति बनी रहे।

अपनी शांति बनाए रखें — और जब आप भूल जाएं तो इसे वापस लाने का एक तरीका

जैसे-जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं, हमें प्रायः दैनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण हम ध्यान में अर्जित शांति को त्यागने पर विवश हो जाते हैं और उसकी जगह निराशा या भ्रम की भावनाएँ आ जाती हैं।

लेकिन जैसा कि वाईएसएस/एसआरएफ़ की प्रिय चतुर्थ अध्यक्ष, श्री श्री मृणालिनी माता, 2011 एसआरएफ़ विश्व दीक्षांत समारोह में अपने सत्संग की निम्नलिखित छोटी क्लिप में बताती हैं, जब भी शांति हमसे दूर होगी उसी क्षण हमारे पास हमेशा ईश्वरीय उपस्थिति का अभ्यास करने का एक शक्तिशाली विकल्प और तरीका होता है जो हमें शांति की स्थिति में स्वयं को पुनः स्थापित करने में सहायक होगा।

वीडियो चलाएं

आप इस छोटे से टूलकिट से झलक प्राप्त कर सकते हैं कि अभी आपके भीतर कितनी शांति उपलब्ध है। बार-बार दैनिक अभ्यास से शांति का पहले से छिपा और अप्रयुक्त भंडार आपके जीवन में एक निरंतर सकारात्मक और प्रवाहमान शक्ति बन सकता है।

लेकिन यह टूलकिट आपको केवल शांति की अथाह गहराइयों तक ले जाना प्रारम्भ करता है जिसे परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं को व्यवहार में लाकर अनुभव किया जा सकता है। यदि आप अधिक गहराई में जाना चाहते हैं, तो हमारा सुझाव है कि आप योगदा सत्संग पाठमाला के बारे में अधिक जानें और इसके लिए नामांकन करने पर विचार करें — ध्यान प्रविधियों और जीवन के व्यापक तरीके पर परमहंसजी के संपूर्ण निर्देश जो आपको सीधे आपकी आत्मा के भीतर शांति और आनंद के अंतहीन झरने तक ले जा सकते हैं।

हे प्रभो! मेरी सतत शांति की वेदी पर और गहरे ध्यान से उत्पन्न होने वाले आनन्द में मुझे आप अपनी विद्यमानता को प्राप्त करना सिखाएँ।

—परमहंस योगानन्द

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