परमहंस योगानन्दजी द्वारा “अब स्वयं को क्रिसमस सही ढंग से मनाने के लिए तैयार करें”

16 दिसम्बर, 2022

नीचे परमहंस योगानन्दजी के एक क्रिसमस पर दिए संदेश के अंश हैंपरमहंस योगानन्दजी कृत जीसस की मूल शिक्षाओं को जताने वाली व्याख्या द सेकंड कमिंग ऑफ क्राइस्ट : द रीसरक्शन ऑफ द क्राइस्ट विदिन यूमें प्रकाशित। उन्होंने कहा “क्रिसमस को सच्चे अर्थों में मनाने का मतलब है क्राइस्ट चेतना के जन्म को अपनी चेतना में अनुभव करना।” जैसे ही हम अवकाश पर्व में प्रवेश करते हैं, परमहंस योगानन्दजी हमें “आदर्श-जीवन” ज्ञान को लागू करने का अवसर प्रदान करते हैं, ताकि क्रिसमसकाल को वैसे मनाया जा सके जैसे कि उसे होना तय था — हमारे अंतर्मन में उपजे सच्ची शांति और सच्चा आनंद।

अपने हृदय को क्राइस्ट प्रेम की वेदी बनाएं — जो सभी नस्लों में रहते हैं और सभी को समान प्रेम करते हैं — ताकि आप भी सभी लोगों के देह-मंदिर में सर्वव्यापी क्राइस्ट की उपस्थिति देख कर उन सभी से प्रेम कर सकें।

अपने सभी शत्रुओं को क्षमा करें — वास्तविक और काल्पनिक — जैसे कि जीसस ने अपने विरोधियों को क्षमा किया था। अपने हृदय को उनके प्रति दयाद्र समझदारी से भरा रखो जो निर्दयी कार्यों और बातों से या तुम्हारे द्वारा की गई भलाई के बदले कृतघ्न हो तुम्हें सूली पर चढ़ाते हैं। आपकी प्रार्थना होनी चाहिए : “प्रभु मुझे मेरे गलत भटके भाइयों से प्रेम करना सिखाएं क्योंकि वह नहीं जानते कि वह क्या कर रहे हैं। मैं अपनी निर्दयता से उन्हें और बुराई की ओर न धकेलूँ, बल्कि मेरा प्रेम उन्हें अच्छे जीवनयापन की ओर प्रेरित करे।”

आप अपने जीवन के सभी कर्म जीसस क्राइस्ट की ईमानदारी और निडरता से संचालित करें।

आत्म-संयम द्वारा दुखदायी प्रलोभनों पर विजय पाएं, जैसे कि जीसस ने शैतानी प्रलोभनों पर विजय पाई [शब्दावली में माया देखें]। सभी अच्छी चीज़ों के प्रति पसन्द विकसित करो। इंद्रियों के दुरुपयोग से जनित अस्थाई सुखों का त्याग करो और टिकाऊ रहने वाले आत्मा के सच्चे सुख का अभ्यास करो।

दूसरों की बुराई का बदला भलाई से, नासमझी का समझदारी से व निर्दयता का दयालुता से दें। अपने अंतर्मन में बेचैनी की जगह शांति का, व्यग्रता की जगह धीरज का और भौतिक सुखों की जगह टिकाऊ आनंद का विकल्प चुनें।

जरूरतमंदों को अपनी आध्यात्मिकता के अनुपम उपहार भेंट करो, और महात्माओं से जो तुम्हें तुम्हारे भले के लिए प्रेम करते हैं, आत्मोत्थान के गुणों को प्राप्त करो।

याद रखें आपकी ध्यान जनित चेतना में क्राइस्ट प्रत्येक क्रिसमस पर, या किसी भी अन्य समय, पुनः जन्म ले सकते हैं। अपनी समर्पित एकाग्रता में नए जन्मे सर्वव्यापी, अविनाशी क्राइस्ट को निहारो। अपने दैनिक गहन ध्यान में अपरिचित क्राइस्ट से नित नवीन आनंद व उत्तरोत्तर बढ़ती प्रसन्नता के रूप में बातचीत से अपना परिचय बढ़ाओ। क्राइस्ट से इस ध्यान जनित आनंद की तरह प्रेम करो और इस तरह प्रतिदिन आध्यात्मिक क्रिसमस मनाओ : अपने में उसका पुनः आगमन मनाओ।

क्राइस्ट का पुनर्जन्म समस्त प्रकृति की भव्यता, अपने जागृत ज्ञान, हर उस वस्तु जिसमें सच्चा सौंदर्य झलकता हो, हर उस व्यक्ति जो क्राइस्ट की सुगंध से सराबोर हो, में देखें।

आप क्रिसमस पर क्राइस्ट के विचारों के साथ अथवा क्राइस्ट की शांति में जो भी करें उसका आनंद लें।

सभी में विद्यमान क्राइस्ट को प्रसाद स्वरुप उपहार आदान-प्रदान करें; और अत्यंत सजे, आत्मा के दिव्य गुणों से दीप्त अपनी शांत चेतना के क्रिसमस वृक्ष पर, अपने हृदय को उसे अर्पित करें। यहां क्राइस्ट से स्वयं उन्हें उपहार में प्राप्त करें।

ध्यान के द्वार से, अपने बंदी आनंद को निकल, क्राइस्ट के हृदय में विश्राम करने दें, जो सर्वत्र हैं। अपने आनंद को नीले विस्तार में दूरस्थ ग्रहों पर और उन आत्माओं की तरंगिकाओं में, जिनसे तुम मिले या प्रेम किया, जो तुम्हारे निकटतम हैं, नृत्य करने दें। तब तुम सृष्टि की प्रत्येक अभिव्यक्ति में क्राइस्ट को पलता निहारोगे। तुम क्राइस्ट के सर्वव्यापी आनंद को सभी संतों, सभी मनुष्यों, सभी प्राणियों, तारे-जड़ित ब्रह्मांड, अपने विचारों के पालने में व अपनी आत्मा के मंदिर में खोज लोगे।

हमें आशा है कि आप क्रिसमस काल में हमारे साथ, व्यक्तिगत रूप से वाईएसएस आश्रम या केंद्र आकर या ऑनलाइन भाग ले सकते हैं। नीचे दो लिंक दिए हैं जिनमें से एक आपको अपने निकट वाईएसएस आश्रम, केंद्र पता करने में सहायक होगा और एक आपको उस संसाधन पृष्ठ तक ले जाएगा जहाँ और प्रेरण व मार्गदर्शन आपको इस पर्व की सच्ची मनोवृत्ति में गहरे उतरने में सहायक होगा!

शेयर करें