नववर्ष में सफलता के रहस्य पर परमहंस योगानन्दजी

10 जनवरी, 2023

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नववर्ष नई आशाओं के साथ आता है। लेकिन कभी-कभी संदेह पैदा होता है : क्या वास्तव में नववर्ष के आगमन के साथ हमारे जीवन में स्थायी परिवर्तन करना संभव है?

परमहंस योगानन्दजी कहते हैं, जब आप आदतों की लचीली प्रकृति को समझते हैं — चाहे वे पक्की आदतें ही क्यों न हों; और अपनी चेतना को बदलने के लिए अपनी इच्छा शक्ति का उपयोग करते हैं, जो आपके जीवन के अन्य सभी पक्षों को बदलने का प्रणेता है, तब यह निश्चित है।

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप के वर्तमान अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द गिरि ने कहा है कि “परमहंसजी ने, नववर्ष के लिए अपनी दिशा निर्धारित करने के लिए, आत्मनिरीक्षण और ध्यान द्वारा अपनी चेतना को ईश्वर की विशाल सहायक चेतना से जोड़ने का, और फिर विचार एवं इच्छा शक्ति के उनके दिव्य उपहारों द्वारा अपने जीवन को नियन्त्रित करने का प्रोत्साहन दिया।”

और वाईएसएस/एसआरएफ़ की तीसरी अध्यक्ष, श्री दया माता ने हमें आश्वासन दिया : “अधिक स्थायी एवं प्रभावकारी उद्देश्य के लिए, तात्कालिक सन्तुष्टि को एक किनारे कर देने की योग्यता का होना किसी भी महत्वपूर्ण उपलब्धि की प्राप्ति के लिए आवश्यक है। ऐसा करना आत्मा की सर्व-समावेषक दृढ़ता को उत्तरोत्तर बढ़ते हुए प्रकट करता है।”

इसके बाद उन्होंने यह महत्वपूर्ण घटक जोड़ा : “इस विश्वास के साथ कि धैर्यपूर्वक दृढ़ता से विजय न केवल संभव है बल्कि अपरिहार्य है, प्रत्येक दिन छोटे कदम उठाना बेहतर है।”

परमहंसजी के इस कथन को हमेशा याद रखें कि “आपके जीवन की चिंगारी के ठीक पीछे अनंत की ज्वाला है।… आपको अपने जीवन के पीछे उस महान शक्ति को अनुभव करने से रोकने के लिए कुछ भी नहीं है।”

तो, क्या आपकी आत्मा अधिक पूर्णता के विचार से प्रेरित होती है — क्या आप जानना चाहते हैं कि नववर्ष के प्रवेश द्वार में सफलतापूर्वक कदम कैसे रखें?

परमहंस योगानन्दजी के प्रवचन एवं आलेख से :

नववर्ष की कल्पना एक उद्यान के रूप में करें, जिसकी पौधे लगाने की योजना बनाने हेतु आप उत्तरदायी हैं। इस भूमि में अच्छी आदतों के बीज बोएं, तथा अतीत की चिन्ताओं और अनुचित कार्यों को उखाड़ फेंकें।

इस नूतन वर्ष में अपनी चेतना को बदल डालो। स्वतन्त्रता दिलाने वाली अच्छी आदतों और सद्व्यवहार को विकसित करो। जिस दिन तुम यह कह पाओगे : “मैं बुरी आदतों के वशीभूत हो कोई काम नहीं करता क्योंकि वे मेरे हित की विरोधी हैं; मैं अपनी इच्छा से केवल अच्छाई को ही चुनता हूँ,” तो वह स्वतन्त्रता होगी। तुम सब में मैं वही देखना चाहता हूँ।

आदतें केवल दिमाग में बने हुए गहरे खाँचे होते हैं। मन की सुई आदतों के उन्हीं रिकार्डों को बार-बार बजाती है।… मन और इच्छा शक्ति के प्रयोग से इन खाँचों को बदला जा सकता है।

शुरू में ही कोई नाटकीय परिवर्तन लाने का प्रयास मत करो। अपनी अंतर्निहित आदेशात्मक शक्ति को विकसित करने के लिये पहले छोटी छोटी बातों के साथ प्रयोग करो।

इसलिए आप को जो कुछ भी बनना है उसकी रचना को अभी से ही विकसित करना शुरू कर दीजिए। यदि आप अपने मन में कोई प्रबल विचार भर लें तो अभी इसी समय आप अपने विचारों की दिशा बदल सकते हैं; तब आपके कार्य और आपका सारा व्यक्तित्व उसी विचार का अनुपालन करेगा। एकांगी मानसिकता में स्थित मत हो जावें । आप में किसी भी व्यवसाय में या आप जो कुछ भी करना चाहें उसी में सफल होने की क्षमता होनी चाहिए। जब भी किसी ने मुझसे कहा कि मैं अमुक काम नहीं कर सकता, मैंने निश्चय कर लिया कि मैं उसे करके रहूँगा और मैं करके ही रहा!

गत वर्ष की सुन्दर घटनाओं के विषय में सोचिए। नकारात्मक अनुभवों को भूल जाइए। उस भलाई को, जो अतीत में आपने की थी, नववर्ष की स्वच्छ भूमि पर बोइए, ताकि वे महत्त्वपूर्ण बीज और भी श्रेष्ठतर ढंग से उग सकें।

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