क्रिसमस ध्यान संसाधन पृष्ठ — क्राइस्ट चैतन्य प्राप्त करने के लिए तैयार हो जाएं!

मैं आप सभी को यह दिव्य आशीर्वाद दे रहा हूँ कि यदि आप क्रिसमस के दौरान गहराई से ध्यान करेंगे तो आप जीसस क्राइस्ट की उपस्थिति का अनुभव करेंगे।

— परमहंस योगानन्द

पूरे विश्व में योगदा सत्संग/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप के भक्तों और मित्रों के लिए पूरे दिन का क्रिसमस ध्यान साल के अंत में अवकाश के पर्व का एक मुख्य आकर्षण है, जिसकी शुरुआत 1931 में परमहंस योगानन्दजी ने की थी और जिसे कई वर्षों तक उन्होंने स्वयं संचालित किया।

प्रत्येक वर्ष दिसम्बर के मध्य में वाईएसएस/एसआरएफ़ आश्रमों, केंद्रों और मंडलियों में 8 घंटे का ध्यान होता है

  • परमात्मा के अवतार के रूप में जीसस क्राइस्ट के जन्म के सम्मान में, और
  • अपने भीतर उसी सार्वभौमिक क्राइस्ट चेतना (कूटस्थ चैतन्य या कृष्ण चेतना) के अनुभव में गहराई से गोता लगाने के लिए जैसा कि जीसस और अन्य सभी मुक्तात्मा संतों के जीवन में पूरी तरह से प्रकट हुआ था।

इस विशेष ध्यान का विवरण जानने के लिए, कृपया अपने निकट के वाईएसएस आश्रम व् केंद्र से संपर्क करें।

हम पुराने भक्तों के साथ-साथ वाइएसएस/एसआरएफ़ की शिक्षाओं से जुड़े नए भक्तों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे उन्नत और स्थायी अनुभव के लिए हमसे जुड़ें।

जैसा कि परमहंसजी कहते थे, सामाजिक उत्सवों के अवकाश से पहले पूरे दिन के ध्यान के लिए अपने को तैयार करना इस “आध्यात्मिक क्रिसमस” का अधिकतम लाभ उठाने के लिए सहायक होता है।

वर्ष के इस समय आपके लिए उपलब्ध गहन आशीर्वादों के प्रति अपनी चेतना को ग्रहणशील बनाने के लिए कैसे अभी से शुरू किया जाए इस बात के लिए सहायक संसाधन आपको इस पृष्ठ पर मिलेंगे :

  • परमहंस योगानन्द द्वारा क्रिसमस संदेश
  • एसआरएफ़ अध्यक्षों द्वारा प्रेरणा (लेख, ऑडियो और वीडियो)
  • अपने ध्यान को गहन करने के तरीके (ऑडियो)
  • क्रिसमस विशेष ध्यान — वाईएसएस ऑनलाइन ध्यान केंद्र से जुड़ें
प्रकाशस्तंभ-संपत्ति

परमहंस योगानन्द द्वारा क्रिसमस संदेश

परमहंस योगानन्द के क्रिसमस संदेशों में से एक यहाँ प्रस्तुत है जो द सेकेंड कमिंग ऑफ क्राइस्ट : द रिसरेक्शन ऑफ़ द क्राइस्ट विदिन यू, जीसस की मूल शिक्षाओं पर परमहंसजी की प्रकटीकरण टिप्पणी के परिशिष्ट खंड में प्रकाशित है। इस छोटे और शक्तिशाली संदेश में, वह हमें इस समय के दौरान — और हर समय — जीसस के सभी के लिए प्रेम और ईश्वरीय क्राइस्ट चैतन्य के साथ आंतरिक एकता के उदाहरण का अनुसरण करके हमें हमारे जीवन के हर पहलू को आध्यात्मिक बनाने का आग्रह करते हैं।

एक – सच्चे क्राइस्ट बनो

“यह मेरा आपके लिए क्रिसमस गीत है, कि दैनिक ध्यान से आप अपनी चेतना के हिंडोले को इस तरह तैयार करें कि आप अनंत बाल क्राइस्ट को पुनः उपस्थित देखें। इस पवित्र पर्व के दौरान गहनता से लंबी प्रार्थना करें जब तक कि प्रत्येक दिन ईश संपर्क का एक सच्चा क्रिसमस न बन जाए।

“आत्मा के गुणों के आध्यात्मिक उपहार : प्रेम, शांति, क्षमा और आनंद को एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान करके, और सार्वभौमिक भाईचारे की भावना में सभी सच्ची आत्माओं के साथ, भौतिक उपहारों के क्रिसमस वृक्ष के आसपास सामाजिक समारोह और उत्सव को आध्यात्मिक बनाएं।

“देशभक्ति की आग में पृथ्वी के सभी राष्ट्रों के लिए प्रेम की एक आकर्षक रोशनी जलाएं ताकि युद्ध और मिथ्याबोध के अंधकार को दूर भगाया जा सके। एक सच्चे क्राइस्ट के पुत्र के रूप में, अपने भीतर एक पवित्र प्रतिज्ञा करें : ‘मैं ईश्वर के सभी लोगों से वैसे ही प्रेम करूँगा जैसे मैं अपने लोगों से करता हूँ।’

घर में, व्यवसाय में, चर्च में, समाज में, राजनीति में, अंतर्राष्ट्रीय समझ में जीसस के एक करने वाले प्रभाव में जियें; और फिर प्रभु जीसस आपके साथ होंगे। आप एक क्रिश्चियन — क्राइस्ट के निज — क्राइस्ट के साथ एक होंगे।

प्रकाशस्तंभ-संपत्ति

वाईएसएस/एसआरएफ़ के अध्यक्षों से प्रेरणा

नीचे आपको योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया /सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (वाईएसएस/एसआरएफ़) के पाँचवें और वर्तमान अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा 2020 के क्रिसमस सत्संग के वीडियो का एक अंश मिलेगा, जिसके आगे वाईएसएस/एसआरएफ़ के क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे अध्यक्ष की और अधिक प्रेरणा और निर्देशित ध्यान होगा।

पवित्र अवकाश पर्व का संदेश

स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा

वाईएसएस/एसआरएफ़ के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख, स्वामी चिदानन्द गिरि, पवित्र अवकाश पर्व में व्याप्त ईश्वरीय कृपा और इसकी परिवर्तनकारी शक्ति प्राप्त करने के लिए हम स्वयं को किस प्रकार तैयार कर सकते हैं इसके विषय में एक विशेष संदेश साझा करते हैं। वे न्यू टेस्टामेंट से जीसस के जन्म से सम्बंधित एक अंश को भी पढ़ते हैं, और ध्यान का अभ्यास करने वालों के लिए उस अंश के गूढ़ और सार्वभौमिक अर्थ को स्पष्ट करने के लिए परमहंसजी की रचनाओं से उद्धरण प्रस्तुत करते हैं।

वीडियो चलाएं

इस पर्व की आंतरिक आध्यात्मिक सुंदरता

राजर्षि जनकानन्द द्वारा

राजर्षि जनकानन्द, परमहंस योगानन्द के पहले आध्यात्मिक उत्तराधिकारी थे, जो 1952 से 1955 में अपने देहावसान तक वाईएसएस/एसआरएफ़ के दूसरे अध्यक्ष के रूप में सेवारत रहे। 1952 में राजर्षि का क्रिसमस संदेश वाईएसएस/एसआरएफ़ के सभी सदस्यों के लिए निम्नलिखित था।

“अपने हृदय में गहन आनंद के साथ मैं इस पवित्र क्रिसमस के पर्व में आपको बधाई देता हूँ। इससे पहले कदाचित ही मनुष्य ने क्रिसमस के सही अर्थ — अपने हृदय में क्राइस्ट चैतन्य के सर्वव्यापी प्रेम, आनंद, शांति की सचेतन रूप से प्राप्ति के लिए जिसे हम जीसस के आगमन में मनाते हैं — का अनुभव करने की आवश्यकता समझी हो।

“सन्तों और हमारे गुरु परमहंस योगानन्द के आशीर्वाद से, और उनकी सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप शिक्षाओं के माध्यम से, इस पर्व की आंतरिक आध्यात्मिक सुंदरता के लिए मेरी आँखें खुल गई हैं; मेरा हृदय सर्वव्यापी क्राइस्ट के दिव्य प्रेम से भर गया है।

“यह मेरी विनम्र इच्छा है कि मैं आपके साथ इस दिव्य प्रेम और आनंद को साझा करूँ। हम अपने हृदय और मन में विश्व के क्रिसमस वृक्ष के चारों ओर इकट्ठा हों और जीसस क्राइस्ट तथा अपने गुरुओं के साथ प्रार्थना करें कि शांति, क्षमाशीलता और समस्त मानव जाति के प्रति प्रेम का उनका संदेश ग्रहणशील लोगों तक पहुंचे। सभी जन समझ और सत्य के प्रकाश के प्रति जागृत हों! प्रत्येक हृदय दिव्य वृंदगान गाये, ‘ईश्वर की महिमा सर्वोच्च हो, पृथ्वी पर शांति और मानवमात्र के प्रति सद्भावना हो।’

प्रत्येक दिन क्रिसमस हो

श्री दया माता द्वारा

श्री दया माता वाईएसएस/एसआरएफ़ की तीसरी अध्यक्ष थीं, जो 1955 से 2010 में अपने देहावसान तक इस भूमिका में सेवारत रहीं। यहाँ वे जीसस क्राइस्ट और भगवान कृष्ण के प्रति परमहंस योगानन्द की गहन जाग्रति का जो प्रभाव उनके स्वयं के जीवन पर पड़ा, उसकी बात करती हैं और एसआरएफ़ अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय में उनके पहले क्रिसमस का वर्णन करती हैं।

क्रिसमस के दौरान निर्देशित ध्यान

श्री मृणालिनी माता द्वारा

श्री मृणालिनी माता जो 2011 से 2017 में अपने देहावसान तक वाईएसएस/एसआरएफ़ के चौथे अध्यक्ष के रूप में सेवारत रहीं, उनके नेतृत्व में एसआरएफ़ अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय में 23 दिसम्बर, 2002 को पूरे दिन के क्रिसमस ध्यान का संचालन। (इस ज्ञान और प्रेरणा को अपने भीतर गहराई तक ले जाने में सहायता करने के लिए छोटी अवधि के मौन को बीच-बीच में रखा जाता है।)

प्रकाशस्तंभ-संपत्ति

अपने ध्यान को गहरा करने के तरीके

स्वामी भक्तानन्द गिरि द्वारा

भक्तानन्द गिरि परमहंस योगानन्द के निकटतम शिष्य थे और उन्होंने 1971 से 2005 में अपने देहावसान तक हॉलीवुड, कैलिफोर्निया में सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप मंदिर में वरिष्ठ सन्यासी के रूप में सेवा की। उन्होंने कई वर्षों तक एसआरएफ़ हॉलीवुड आश्रम के इण्डिया हॉल में ध्यान पर वार्षिक कक्षाएं दीं। यहाँ उनकी बातचीत के ऑडियो का एक अंश प्रस्तुत है।

ऑडियो का समय : 5 मिनट

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