नव वर्ष 2021 पर श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि का संदेश

1 जनवरी, 2021

प्रिय आत्मन्,

गुरुदेव परमहंस योगानन्दजी के आश्रमों में रहने वाले हम सबकी ओर से आपको, और गुरुदेव के विश्वव्यापी आध्यात्मिक परिवार के प्रत्येक प्रिय मित्र को, आनंदपूर्ण और संतुष्टिपूर्ण नववर्ष की शुभकामनाएँ। नई शुरुआत के इस समय में, आप सब हमारे विचारों में हैं; और हम प्रार्थना करते हैं कि अपने विश्वास और संकल्प द्वारा, तथा ईश्वर की सहायता से, आप अपने सर्वाधिक अभीष्ट लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। न केवल त्यौहारों के इस मौसम में, बल्कि वर्ष-भर आप सभी ने जो अनेकों कार्ड, संदेश एवं उपहार भेजे, उन सब के लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ। आपका स्नेह तथा समर्थन मेरे लिए ही नहीं, बल्कि सभी संन्यासियों व संन्यासिनियों के लिए भी बहुत महत्त्व रखता है; और आप सब लोग अपने जीवन में गुरुजी के आदर्शों को जिन अनेक तरीकों से अभिव्यक्त करते हैं, वह भी अत्यन्त प्रशंसनीय है।

निश्चय ही विगत वर्ष सम्पूर्ण विश्व के लिए चुनौतीपूर्ण था। लेकिन इन कठिनाइयों के पीछे जो सुस्पष्ट आध्यात्मिक सीख छिपी हुई है – जिसे इस पथ के अनुयायियों ने बहुत पहले ही पहचान लिया होगा वह है : धीरे-धीरे उजागर होता हुआ यह सत्य कि इस पृथ्वी के क्लेशों का स्थाई समाधान केवल बाहरी उपायों से नहीं, बल्कि ईश्वर के साथ हमारी आंतरिक समस्वरता के द्वारा ही हो सकता है। यह “दिव्य समयोचितता” का ही एक उदाहरण था कि मानवजाति को सत्य के शाश्वत नियमों के साथ गहन सम्बन्ध को अब और देर किए बिना पहचानने के लिए प्रेरित करने वाला यह विगत वर्ष, दिव्य संयोग से, आत्म-बोध को जगाने वाले क्रियायोग ध्यान के विज्ञान को गुरुजी द्वारा पूरे विश्व में प्रसारित करने के कार्य को प्रारम्भ किए जाने का शताब्दी वर्ष भी था। आइए हम अपनी वैश्विक सभ्यता में सामंजस्य एवं एकता लाने हेतु, सार्वभौमिक आध्यात्मिकता के प्रसार को प्रोत्साहित करने के लिए आने वाले दिनों में जो कुछ भी कर सकते हैं, करते रहें।

नव वर्ष में पदार्पण के इस समय पर, मेरी आप सबके लिए यही प्रार्थना है कि परमहंसजी द्वारा विश्व को प्रदत्त आध्यात्मिक जागृति प्रदान करने वाली ध्यान की प्रविधियों का पूरा लाभ उठाने का आप दृढ़ संकल्प लें। इसे अपने जीवन का नवारंभ समझें; गहन ध्यान करने के आपके उत्साह और प्रयासों से समन्वय, ज्ञान, एवं दिव्य प्रेम में वृद्धि हो, जिसकी आज हमारे वैश्विक कुटुम्ब को नितांत आवश्यकता है।

इस नवारंभ का पूरा-पूरा लाभ उठाने के लिए जिन दिव्य उपहारों की आवश्यकता है, ईश्वर ने वे हमें प्रदान कर रखे हैं : स्वतंत्र इच्छा का उपहार, और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रबल इच्छा-शक्ति का उपहार। कुछ समय निकाल कर मौन आत्म-मंथन करें, और आपके द्वारा किए गए सद्कार्यों, सीखे गए पाठों, प्राप्त की गई जीतों ,तथा साहसपूर्वक चुनौतियों का सामना कर प्राप्त किए गए आध्यात्मिक आशीर्वादों की स्मृतियों से स्वयं को सुदृढ़ बनाएं। आपकी क्षमताओं को कुंठित करने वाली विगत त्रुटियों के मानसिक “बोझ” को तथा अपने या दूसरों के विषय में नकारात्मक विचारों को अपनी चेतना से दूर करें। आप के लिए अब उपलब्ध नई संभावनाओं पर ­– जो सकारात्मक बदलाव आप अपने जीवन में लाना चाहते हैं उनपर, अपने मन को एकाग्र करें। महसूस करें कि उम्मीद की स्फूर्तिदायक ताज़ी हवा आपकी सभी चिंताओं, और आत्म-संशय को उड़ा कर ले जा रही है, और यह प्रतिज्ञापित करते हुए कि आप अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँचेंगे, अपने प्रयासों को प्रबल इच्छा-शक्ति एवं दृढ़ विश्वास से सशक्त करें।

हमारे गुरु उनके निकट रहने वाले शिष्यों को, “नहीं कर सकता” शब्दों का प्रयोग करने की अनुमति नहीं देते थे। वे कहते थे, “‘नहीं कर सकता’ के उस आवरण को ‘कर सकता हूँ’ की मुक्त हवा में बिखर जाने दो।” उन्हें आप में विश्वास है; ईश्वर को आप में विश्वास है; और यदि आप प्रयास करते रहें तथा स्वयं में एवं उनकी सहायता व प्रेम में विश्वास रखें, तो आप असफल नहीं हो सकते। गुरुजी ने हमसे आग्रह किया है, “नए वर्ष के द्वार में नयी आशा के साथ कदम रखो। याद रखो तुम ईश्वर की संतान हो।… तुम्हारे लिए उनका प्रेम शाश्वत है। इस पर विचार करो। इसमें विश्वास करो। इसे जानो। और अचानक एक दिन तुम पाओगे कि तुमने ईश्वर में अमरत्व प्राप्त कर लिया है।”

ईश्वर आपको और आपके प्रियजनों को इस नव-वर्ष पर व सदैव आशीर्वाद प्रदान करें,

स्वामी चिदानन्द गिरि

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