योगदा सत्संग पत्रिका के लिए एक नई दिशा

16 सितंबर, 2021

परमहंस योगानन्दजी ने 1925 में पहली बार सेल्फ़-रियलाईज़ेशन (योगदा सत्संग) का, अमेरिका में फैले अपनी कक्षाओं के हज़ारों शिष्यों से नियमित संपर्क माध्यम के रूप में परिचय कराते हुए कहा, “मैं इस पत्रिका के स्तंभों के ज़रिए आप सबसे संवाद  करूँगा।” एक शताब्दी से, आध्यात्मिक जीवन शैली की यह पत्रिका, पाठकों को उन कालजयी शाश्वत सत्यों से परिचित कराने की सेवा कर रही है, जिनके विश्वव्यापी प्रसार के लिए उनके गुरुओं ने उन्हें चुना था हज़ारों को यह समझने में सहायता करना कि समय की कसौटी पर खरे उतरे योग के सिद्धांतों और प्रवृत्तियों का अपना जीवन बदलने और ईश्वर से सीधा व्यक्तिगत संपर्क साधने के लिए अभ्यास किया जा सकता है।

आने वाले समय को देखते हुए हम योगदा सत्संग  पत्रिका के विकास के अगले चरण संबंधी अपनी कार्य योजना को आपके साथ साझा करना चाहते हैं। इसका सीधा संबंध हमारे गुरु की क्रियायोग शिक्षाओं के प्रसार में जुड़े नवागत मील के पत्थरों से है। जैसा कि आप जानते हैं 2019 में, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया ने वाईएसएस पाठमाला  का संपूर्ण और उन्नत संस्करण जारी किया, जिसमें परमहंस योगानन्दजी की अब तक प्रकाशित शिक्षाओं से, अत्यधिक गहनतम प्रस्तुति है; जिन्हें उनके संपूर्ण 30 वर्ष से अधिक के लेखन, व्याख्यानों और भक्तों को दिए व्यक्तिगत निर्देशों से लिया गया है। पाठों की आधारभूत श्रृंखला जारी करने के बाद,नई क्रियायोग श्रृंखला जारी की गई जिनके बाद अनुपूरक पाठ श्रृंखला आई, जिसमें अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर प्रदर्शन प्रस्तुतियां शामिल हैं जो कई वर्षों तक जारी रहेंगी। और शीघ्र ही हम उन्नत पाठों (क्रियावानों को उपलब्ध) व साप्ताहिक श्रृंखला “परमहंस योगानन्द के साथ सत्संग “ शुरू करने वाले हैं ताकि वाईएसएस पाठमाला के विद्यार्थियों को जीवनपर्यंत मार्गदर्शन एवं निर्देशों का एक अतिरिक्त स्रोत मिले।

हज़ारों जिज्ञासुओं की नई वाईएसएस पाठमाला और हमारे ऑनलाइन कार्यक्रमों पर प्रतिक्रिया वाईएसएस विद्यार्थी और जो पहली बार वाईएसएस को खोज रहे हैं अत्यंत सकारात्मक रही है, बहुतों ने परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं की रूपांतरक शक्ति और आज के विश्व में सर्वव्यापी चुनौतियों के संदर्भ में  प्रासंगिकता को सत्यापित किया है। बहुतों ने टिप्पणी की है कि गुरु प्रदत्त व्यापक पटल ने वाईएसएस और एसआरएफ़ के वसुधैव आध्यात्मिक कुटुंब को गुरुजी के अनुरूप अनुभव करने में उन्हें सहायता की है।

इन सब कार्यक्रमों के द्वारा प्रेरणा की एक सामान्य धारा जो 1925 में पत्रिका के पहले अंक के साथ शुरु हुई वह कई गुना विस्तृत हो चुकी है और परमहंसजी की शिक्षाओं के ज्ञान और प्रेरणा को जिज्ञासुओं को अभूतपूर्व स्तर पर उपलब्ध करा रही है, उससे कहीं अधिक जो उस समय संभव था जब उन्होंने पत्रिका का विमोचन किया था।

योगदा सत्संग पत्रिका का एक नया वार्षिक प्रकाशित अंक

हाल ही में गुरुजी की शिक्षाओं की बढ़ी हुई प्रस्तुतियों के संबंध में हमने इस बात की समीक्षा की है कि किस प्रकार योगदा सत्संग  पत्रिका बेहतर तरीके से अपनी भूमिका निभाना जारी रख सकती है, जोकि वाईएसएस पाठमाला और ऑनलाइन प्रदत्त सेवाओं की पूरक हो। जैसे आप में से अधिकतर लोग जानते हैं कि पिछले कुछ दशकों में हमारे विश्व ने उस ढंग से बहुत बड़ा उलटफेर देखा है जिससे विश्वव्यापी श्रोताओं तक सूचना और निर्देश प्रकाशित व प्रसारित किए जाते हैं। पत्रिकाएं, समाचार पत्र और अन्य प्रकाशन माध्यम, प्रभाव व पहुँच के मामले में कमजोर पड़े हैं। जबकि वेबसाइट, ऑनलाइन वीडिओ और अन्य डिजिटल माध्यमों ने अपार, बेहतर अवसर खोले हैं जिनसे पहले से अधिक समृद्ध, विविधताभरी सामग्री साझा की जा सकती है। जैसा कि पहले कहा गया है योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया भी इससे कई तरह से विकसित और लाभान्वित हुई है। यह बात हमें पत्रिका संबंधी, हमारी कार्य योजना तक लाती है।

तत्काल प्रभाव से हम पत्रिका के मुद्रण की आवृत्ति को घटा रहे हैं जबकि हम ऑनलाइन सेवा प्रदत्त प्रेरक मल्टीमीडिया सामग्री को बढ़ाना जारी रखेंगे। हम वाईएसएस वेबसाइट पर ““योगदा सत्संग पत्रिका”” नाम  का एक विशेष अनुभाग सृजित करने की प्रक्रिया में हैं। इसके अलावा अगले वर्ष की शुरुआत से, एक विशेष बृहद कलेवर में छपा योगदा सत्संग पत्रिका का अंक, प्रकाशित होगा जो वार्षिक प्रकाशन के तौर पर हर वर्ष की शुरुआत में प्रकाशित किया जाएगा जो वर्तमान में त्रैमासिक अंकों की जगह लेगा। योगदा सत्संग पत्रिका के इस वार्षिक प्रकाशन में परमहंस योगानन्द की अब तक अप्रकाशित प्रेरणाएं तथा वाईएसएस/एसआरएफ़ के वर्तमान व पूर्व अध्यक्षों के लेख शामिल होंगे। इसके अलावा अन्य लेखकों के लेख, प्रेरणाप्रद सेवाएं तथा ‘आदर्श – जीवन’ का व्यवहारिक मार्गदर्शन उपलब्ध कराएंगे। और इसमें वाईएसएस की वर्षभर की महत्त्वपूर्ण गतिविधियों के समाचार होंगे।

हमें आशा है कि हमारे पाठकों को इन विशेष वार्षिक अंकों की प्रतीक्षा रहेगी। और इसके साथ ही यह परिवर्तन वाईएसएस पाठमाला के विद्यार्थियों को अधिक समय देगा कि वह पूरक पाठों व अन्य पाठ श्रृंखलाओं से अब तक मिलने वाली अधिकतर अप्रकाशित, बहुमूल्य सामग्री पर अपना ध्यान केन्द्रित कर उसे आत्मसात कर सकें। (वाईएसएस पाठमाला  के विषय में अधिक जानें।) चार त्रैमासिक अंकों के स्थान पर, इस एक वार्षिक अंक की व्यवस्था आगामी दो-तीन वर्ष तक प्रभावी रहेगी; जिसके बाद भविष्य के वर्षों के लिए इसकी बेहतर भूमिका की पुनः समीक्षा की जाएगी।

जनवरी 2022 में प्रकाशित, 2022 का वार्षिक अंक, आगामी प्रकाशित अंक होगा। इस बीच हम पाठकों को आमंत्रित करते हैं, कि वह नए योगदा सत्संग ऑनलाइन वेबपेज का आनंद लें। इसमें हैं :

  • लिंक्स का सूची संग्रह, सामग्री जहाँ कहीं और हमारी वेबसाइट पर उद्धृत हुई है : ब्लॉग प्रविष्टियां, वाईएसएस समाचार आदि,  जो कि पहले ही प्रकाशित पत्रिका में आ चुकी है।
  • एक सुगम्य पुस्तकालय जहाँ सभी ऑनलाइन सेवाएं, सत्संग और निर्देशित ध्यान-सत्र होंगे।
  • वार्षिक प्रकाशित अंक का डिजिटल संस्करण (जब भी उपलब्ध होगा)।

यदि आपने वाईएसएस के मासिक इन्यूज़लैटर को ईमेल में प्राप्त करने के लिए पंजीकरण नहीं कराया है तो हमारा आग्रह है कि local.yssofindia.org / enewsletter पर जाकर अब कर लें। प्रत्येक अंक में बहुत सी नई, प्रेरक सामग्री रहती है जो विश्वभर में हज़ारों लोगों को भेजी जाती है।

इस वर्ष के अंत में हम एक विशेष ऑनलाइन पुस्तकालय का उद्घाटन भी करने वाले हैं जिसमें पत्रिका के पिछले अंकों से चयनित प्रेरक सामग्री होगी। इसमें परमहंसजी, श्री दया माताजी और अन्य प्रिय लेखकों, जिनके शब्दों को आत्मसात करने की योगदा सत्संग के भूतपूर्व पाठकों में ललक रहती थी, की सामग्री के हजारों पृष्ठ होंगे — और साथ ही दुर्लभ चित्र और वाईएसएस समाचार (अब वाईएसएस इतिहास!)। यह अनुपम ज्ञान-संसाधन वाईएसएस की वेबसाइट पर रहेगा जिसे वार्षिक प्रकाशित अंक के सदस्य पढ़ सकेंगे।

जल्दी ही हम योगदा सत्संग पत्रिका वेबपेज पर और सूचना जारी करेंगे कि कैसे योगदा सत्संग के वार्षिक प्रकाशित अंक की सदस्यता ली जाए (जोकि डिजिटल रूप में भी उपलब्ध होगी) और पत्रिका के पूर्ववर्ती लेखों के पुस्तकालय तक कैसे पहुँचें। इस बीच आप पत्रिका के पृष्ठ पर अनेकों लेख मुफ्त पढ़ सकते हैं। फिर भी यदि आप पत्रिका के पुराने छपे अंक जो अभी भी उपलब्ध हैं, खरीदना चाहें तो नीचे दिए गए हमारे बुकस्टोर के लिंक पर जाकर ऐसा कर सकते हैं। इस पुन: आनंद की यात्रा में हमें आपके सहयात्री बने रहने की प्रतीक्षा रहेगी, जो इस मौलिक पत्रिका ने, भारत की आध्यात्मिक प्रज्ञा और परमहंस योगानन्द की अनुपम आवाज़ और व्यवहारिक शिक्षाएं आप तक सीधे पहुँचा कर सृजन किया है।

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