वाईएसएस सेवक लीग का आगामी शुभारम्भ

28 जनवरी, 2021

स्वामी चिदानन्द गिरिजी का संदेश

वाईएसएस/एसआरएफ़ क्रियाबान भक्तों का एक नया संघ

सौ वर्ष पहले, 1920 में, श्री श्री परमहंस योगानन्द भारत के प्राचीन क्रियायोग विज्ञान का सम्पूर्ण विश्व में प्रसार करने के अपने दैवीय रूप से निर्धारित मिशन को प्रारम्भ करने के लिए अपने अतिप्रिय भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना हुए। तीस से अधिक वर्ष, 1952 में अपनी महासमाधि तक, उन्होंने उस मिशन को पूरा करने के लिए, बिना थके, प्रसन्नता और शुद्ध दिव्य प्रेम के साथ कार्य किया।

परमहंसजी के अंतर्राष्ट्रीय कार्य के शताब्दी वर्ष के दौरान उनके विश्वव्यापी मिशन के विकास में एक और महत्त्वपूर्ण उपलब्धि से परिचित कराते हुए अनुपम आनन्द की अनुभूति हुई। जैसा कि मैंने 2020 सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप विश्व दीक्षांत समारोह के समापन पर अवगत कराया था, वाईएसएस/एसआरएफ़ क्रियाबान शिष्यों का एक वैश्विक संघ बनाने की योजना है जो 1) गुरुदेव द्वारा प्रदान किये गए आध्यात्मिक आदर्शों (साधना) के अनुसार अपने दैनिक जीवन का निर्माण करने की; और 2) उनके वाईएसएस/एसआरएफ़ संगठन की सेवा और सहयोग देने के लिए अपना समय और संसाधन मुक्त भाव से देने हेतु गहरी प्रतिबद्धता की शपथ लेना चाहते हैं। यह योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया में वाईएसएस सेवक संघ और सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप में एसआरएफ़ साधारण शिष्यों के स्वैच्छिक संघ के नाम से जाना जाएगा।

हमारे गुरु ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों का अधिकतर समय एक साधन या ढांचा विकसित करने में समर्पित किया, जिसके माध्यम से विश्व भर में वाईएसएस और एसआरएफ़ के क्रियाबान भक्त उनके काम की वृद्धि और प्रगति में सक्रिय रूप से भाग ले सकें। उनका यह स्वप्न अब साकार हो रहा है।

paramahansa yogananda smile

"अपनी भूमिका निभाएं। अपने शब्दों और उदाहरण के साथ-साथ अपनी भक्ति के माध्यम से योगदा सत्संग [सेल्फ़-रियलाइज़ेशन] के कार्य का प्रसार करें। ऐसा नहीं है कि मैं अपने कार्य के बोझ तले दब रहा हूँ, बल्कि मैं उन सभी की सहायता करने के लिए उत्सुक हूँ जो सहायता चाहते हैं; और यह आपका भी उत्तरदायित्व है कि आप इन शिक्षाओं को अपने आध्यात्मिक स्पंदनों के माध्यम से दूसरों तक पहुँचाएँ, ताकि वे भी इस सत्य को प्राप्त कर सकें।"

अनुसूची अद्यतन : 2021 सेवक संघ का शुभारंभ

हमारी वर्तमान योजना 31 जनवरी, 2021 को वाईएसएस ऑनलाइन ध्यान केन्द्र का उद्घाटन करने की है। हमें आशा है कि इस ग्रीष्म ऋतु तक वाईएसएस सेवक संघ के लिए वेबसाइट पूरी हो जाएगी, और तब हम इसमें सम्मिलित होने के लिए आवेदन स्वीकार कर सकेंगे। हम नामांकन कराने वालों के लिए शिष्यत्व, साधना (आध्यात्मिक अभ्यास), और गुरु-सेवा (गुरु की सेवा) के वाईएसएस/एसआरएफ़ पथ के बारे में एक प्रेरक पुस्तिका भी प्रकाशित करेंगे।

इस बीच, मैं इस नई पहल के पीछे के प्रेरक इतिहास को आपके साथ साझा करने के लिए एक नए ब्लॉग (जिसकी यह पहली पोस्ट है) के माध्यम से सेवक संघ का परिचय कराने की प्रक्रिया जारी रख रहा हूँ।

वाईएसएस/एसआरएफ़ सेवक कार्यक्रम के विकास के विषय में अधिक जानकारी

जैसा कि आप में से बहुत से लोग जानते हैं, ढाई साल पहले हमने परमहंस योगानन्दजी के विश्वव्यापी कार्य में संन्यासियों की सहायता करने के लिए वाईएसएस/एसआरएफ़ भक्तों के लिए नए तरीके खोजने की शुरुआत की थी। हमारे गुरु के मिशन को आगे बढ़ाने में सहायता करने के लक्ष्यों में से एक, हमारे वैश्विक आध्यात्मिक परिवार के बीच क्षमता के विशाल भंडार का उपयोग करना था। मेरे निर्देशन में, लंबे समय से शिष्य रहे गृहस्थ भक्तों का एक छोटा समूह एक साथ आया और अंततः विश्व भर से परमहंसजी के भक्तों के एक वर्चुअल समुदाय योगानन्द सेवा का गठन किया। उन्होंने गुरुजी के ऐसे अनुयायी जो संन्यासी नहीं हैं उनके लिए सेवा के नए अवसरों को खोजने और विकसित करने हेतु कई “प्रायोगिक कार्यक्रम” चलाए। योगानन्द सेवा द्वारा कई महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का सफलतापूर्वक वित्तपोषण, प्रारम्भ और प्रबंधन किया गया, जिनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं :

  • सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप ऑनलाइन ध्यान केन्द्र द्वारा, दर्जनों सामूहिक ध्यान और आध्यात्मिक अध्ययन का आयोजन कई भाषाओं और समय क्षेत्रों में साप्ताहिक रूप से किया जाता है, जिसका संचालन भक्तों के साथ-साथ संन्यासी भी करते हैं और इसमें 80 से अधिक देशों के हज़ारों लोग सम्मिलित होते हैं। (योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़़ इण्डिया के तत्वावधान में इसी तरह के एक ऑनलाइन ध्यान केन्द्र को भी हाल ही में विकसित किया गया, जिसे 31 जनवरी, 2021 से प्रारम्भ किया जाएगा।)
Online Dhyan yoga Kendra
भक्तगण एक ऑनलाइन ध्यान सत्र में शामिल होते हैं।
  • एसआरएफ़ के ऑनलाइन कार्यक्रमों जैसे दीक्षांत समारोह और पाठमाला नामांकन के साथ भक्तों को व्यक्तिगत आधार पर तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय हेल्प डेस्क।
  • एक ऑनलाइन स्वयंसेवी पोर्टल उन भक्तों का एक डेटाबेस बनाए रखने के लिए जो स्वैच्छिक सेवा देना चाहते हैं, इस पोर्टल में उनकी उपलब्धता और कौशल के विषय में जानकारी सम्मिलित है, ताकि हम उनके लिए अपने गुरु के मिशन में अपनी सेवा का योगदान करने का सबसे अच्छा तरीका खोज सकें।
  • कई अन्य परियोजनाओं के लिए प्रारंभिक योजना।

कई मायनों में, विश्व भर में हमारे समर्पित भक्तों की सेवाओं को बेहतर ढंग से समायोजित करने के लिए डिजिटल रूप से नेटवर्किंग के नए तरीकों को विकसित करने के लिए योगानन्द सेवा एक प्रारंभिक चरण का प्रयोग (अत्यधिक सफल!) था।

परिणामस्वरूप, हमने पिछले वर्ष विश्वभर के भक्तों की सेवापूर्ण गतिविधयों में एक प्रेरणादायक वृद्धि देखी है, जिन विभिन्न परियोजनाओं के लिए मैंने योगानन्द सेवा से एसआरएफ़ और वाईएसएस कार्यक्रमों की सहायता करने के लिए कहा, उन परियोजनाओं के लिए भक्तों ने उत्साहपूर्वक स्वेच्छा से सेवा की। इससे अधिक उचित समय नहीं हो सकता था, क्योंकि 2020 के अप्रत्याशित महामारी बंद के दौरान इनमें से कई परियोजनाओं ने प्रेरणादायक सामग्री और कार्यक्रमों की प्रचुरता में योगदान दिया है जिसे एसआरएफ़ और वाईएसएस ऑनलाइन प्रदान करने में सक्षम हो सके। इन प्रारंभिक प्रयोगात्मक “पायलट कार्यक्रमों” के माध्यम से प्राप्त अनुभव मूल्यवान होगा क्योंकि हम अगले चरण में आगे बढ़ेंगे और वाईएसएस सेवक संघ को औपचारिक रूप से प्रारम्भ करेंगे।

सेवक संघ के लिए परमहंस योगानन्दजी की परिकल्पना

भक्त सेवकों की विस्तारित होती भूमिका को प्राथमिकता देने के हिस्से के रूप में, जोकि मैं समझता हूँ यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा क्योंकि गुरुदेव का काम निरंतर बढ़ता जा रहा है, मैंने गुरुदेव की विचारधारा और उनके द्वारा अपने प्रारम्भिक शिष्यों को दिया गया प्रलेखित मार्गदर्शन जो उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में विकसित करना प्रारम्भ किया था, उन पर गहराई से विचार किया।

वाईएसएस में समर्पित भक्तों की एक प्राचीन परंपरा है जो प्रेमपूर्ण सेवा के माध्यम से परमहंसजी के संगठन के विस्तार में सहायता करते हैं। ऐसे ही दो भक्त थे श्री सचिनन्दन सेन (दाएं) और श्रीमती रेणुका सेन (बाएं), जिन्हें बाद में ब्रह्मचारिणी मीराबाई के नाम से जाना गया। वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष श्री श्री दया माता (मध्य) द्वारा वाईएसएस राँची आश्रम में रहने के लिए आमंत्रित किया गया, उन्होंने योगदा सत्संग संगीत कला भारती (संगीत विद्यालय) की स्थापना में सहायता की। यह तस्वीर 1961 में राँची में ली गई थी।

जैसे ही मैंने इन योजनाओं को लागू करने के लिए हमारी पूजनीय श्री श्री दया माता और अन्य पहली पीढ़ी के शिष्यों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा की, तो जो तुरंत स्पष्ट हुआ वो यह है कि अब समय आ गया है कि हम दशकों से हमारे आश्रमों और केन्द्रों में विकसित की गई गुरु-सेवा की भावना को ग्रहण करें, और इसे डिजिटल संचार और स्वयंसेवी समन्वय विधियों के साथ जोड़ें, जिसका हम हाल ही में अपने योगानन्द सेवा के साथ सक्रिय रूप से परिक्षण करते रहे हैं। इससे सही मायने में उन सेवकों के वैश्विक संघ का गठन संभव होगा — जो अपने आध्यात्मिक जीवन और ईश्वर और गुरु के प्रति समर्पण (उनकी साधना) के हिस्से के रूप में — आने वाले वर्षों में हमारे गुरु द्वारा अपनी संस्था के लिए परिकल्पित विकास में आवश्यक और अत्यंत सार्थक भूमिका निभाएंगे।

पिछले कुछ महीनों में, गुरुदेव की परिकल्पना की प्रत्यक्ष समझ एसआरएफ़ और वाईएसएस के वरिष्ठ संन्यासियों और भक्तों में स्पष्ट हो गई है, जिनके साथ मैं इस नई वैश्विक पहल का सहयोग करने के लिए आवश्यक संगठनात्मक आधार विकसित करने हेतु काम कर रहा हूँ। यह महत्त्वपूर्ण कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, और हम सभी उत्सुकता पूर्वक यह अनुमान लगा रहे हैं कि हम 2021 में नए वाईएसएस सेवक संघ और एसआरएफ़ स्वैच्छिक संघ को नामांकन के लिए खोलने के लिए तैयार होंगे।

आने वाली वैश्विक सभ्यता को सार्वभौमिक आध्यात्मिकता प्रदान करने के अपने उद्देश्य के प्रति प्रेमपूर्ण समर्पण में, अपने गुरु की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि की दूसरी शताब्दी के प्रारम्भ करने का यह कितना सौभाग्यशाली तरीका है! मैं आशा करता हूँ कि इस प्रेरक पहल की प्रगति के बारे में अधिक जानकारी शीघ्र ही साझा करूंगा।

जय गुरु!

—स्वामी चिदानन्द गिरि

1963 में गुरुजी के हॉलीवुड मन्दिर में एसआरएफ़ साधारण शिष्य समूह से बात करते हुए, श्री दया माता ने कहा :

“हम सभी अपने-अपने तरीके से ईश्वर की सेवा कर रहे हैं — हम आश्रम में रहते हुए और आप संसार में रहते हुए, दोनों ही समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। आप जैसे संदेशवाहकों के बिना ईश्वर का संदेश संसार में नहीं पहुँच सकता। आप ही हैं जो अन्य लोगों के संपर्क में आते हैं। और आपके पास, मुख्यतः अपने उदाहरण और गुरुदेव की शिक्षाओं की समझ के माध्यम से बड़े पैमाने पर मानव जाति को लाभान्वित करने का महान् अवसर है।”

Daya Mata Sanghmata

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