परमहंस योगानन्दजी जीवन के सरल तथा चिरस्थायी आनन्दों पर

16 नवम्बर, 2022

PY-November-2022-Newsletter

परमहंस योगानन्दजी के प्रवचन एवं आलेख से:

प्रसन्नता बाह्य परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती; बल्कि यह जीवन की छोटी-छोटी खुशियों में प्राप्त होती है, और सर्वाधिक प्रसन्नता गहन ध्यान के नित्य-नवीन आनन्द में प्राप्त होती है।…आत्मा से उत्पन्न होने वाले सादे, सच्चे, एवं चिरस्थायी आनन्दों को थामे रखने के द्वारा प्रसन्न रहें। ये आनन्द गहन चिन्तन, अन्तर्निरीक्षण, आध्यात्मिक उत्प्रेरणा, तथा ध्यान से प्राप्त होते हैं।

ध्यान उस पवित्र चेतना को अनुभव करने और अभिव्यक्त करने का प्रयास है जो आपके भीतर ईश्वर का प्रतिबिम्ब या छवि है। शारीरिक चेतना के भ्रम को मिटा दें, तथा “अनावश्यक आवश्यकताओं” के लिये मन एवं शरीर की सहभागी माँगों को मिटा दें। जितने भी सरल बन सकते हैं बने; आप यह देखकर स्तब्ध रह जायेंगे कि आपका जीवन कितना प्रसन्न एवं सादा हो सकता है।

अपने मन को बहुत से कार्यों में मत उलझाए रखें। विश्लेषण करें कि आपको उनसे क्या प्राप्त होता है और देखें कि क्या वास्तव में वे महत्त्वपूर्ण हैं। अपना समय नष्ट न करें। मैं प्रायः कहता हूँ, “यदि आप एक घण्टा पढ़ते हैं, तो अपनी आध्यात्मिक दैनंदिनी में दो घण्टे तक लिखें; और यदि आप दो घण्टे लिखते हैं, तो तीन घण्टे तक मनन करें; और यदि आप तीन घण्टे तक मनन करते हैं, तो सारा समय ध्यान करें।” चाहे मैं कहीं भी जाऊँ, मैं अपना मन अपनी आत्मा की शान्ति पर निरन्तर लगाए रखता हूँ। आपको भी अपनी चित्तरूपी सूई को सदा आध्यात्मिक आनन्द रूपी उत्तरी ध्रुव की ओर लगाए रखना चाहिए। तब कोई भी आपके सन्तुलन को विचलित नहीं कर सकता।

ईश्वर ने मेरे लिए सप्रमाण सिद्ध कर दिया है कि जब वे मेरे साथ होते हैं तो “जीवन की सारी आवश्यकताएं” अनावश्यक हो जाती हैं। उस चैतन्य में आप साधारण मनुष्य से अधिक स्वस्थ, अधिक आनन्दमय, हर प्रकार से अधिक समृद्ध बन जाते हैं। तुच्छ वस्तुओं की कामना मत कीजिए; वे आपका ध्यान ईश्वर से हटा देंगी। अपना प्रयोग अभी शुरू कीजिए: जीवन को सरल बनाइए और एक सम्राट बन जाइए। 

क्या आप सादगी में आनन्द पाने पर परमहंस योगानन्दजी से अधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहेंगे? कृपया वाइएसएस वेबसाइट पर “सरलता को हृदयपूर्वक अपनाएं” पेज पर जाएँ।

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