स्वामी चिदानन्द गिरि का क्रिसमस 2020 संदेश

4 दिसंबर, 2020

christmas-25-2020

प्रिय आत्मन्,

आपका क्रिसमस मंगलमय हो! मेरी प्रार्थना है कि ईश्वरीय आलोक आपके ग्रहणशील हृदयों में — और विश्वभर में हमारे आध्यात्मिक परिवार व मित्रों के हृदयों में — इस पावन बेला में नवीन प्रचुरता के साथ प्रवाहित हो। आशा है कि क्राइस्ट और गुरुओं की विशेष कृपा हममें से प्रत्येक की चेतना को, उस ऊँचाई तक उन्नत करें, जिसकी हमारे मानवीय परिवार के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों को, आध्यात्मिक सत्य एवं ईश्वरीय मूल्यों की विजय में बदलने के लिए आवश्यकता है। वह आलोक व आनंद, जो हज़ारों वर्ष पूर्व शिशु जीसस के जन्म पर जगमगाया — और पुनः, वर्ष के इस पुनीत अवसर पर — वह क्राइस्ट-प्रेम का प्रकाश है, जिसमें हमारे जीवन को बदलने और विश्व को आरोग्य करने की शक्ति है। वह आलोक, प्रेम एवं आनंद, ईश्वर के प्रतिरूप में बनी हमारी आत्माओं का एकमात्र सार है; और यदि हम इसे जानने का प्रयास करें, तो एक अविचल अन्तर्ज्ञान युक्त आशा और आश्वासन को जन्म देता है।

इस द्वैत लोक में जीवन की असामंजस्यता और अनिश्चितताओं के बावजूद, हमारे परमपिता एवं हमारी सहायता हेतु भेजे ईश-युक्त आत्माओं के प्रोत्साहन और समर्थन तक, हमारी पहुँच सदैव रहती है। ऐसे ही एक हैं, प्रभु जीसस जिनका जीवन दैवीय गुणों का एक सुन्दर वाद्य-वृंद था, जिसके द्वारा हम अपनी बाहरी परिस्थितियों एवं मानवीय अज्ञान की समस्त सीमाओं से ऊपर उठकर, ईश्वरीय चेतना में आतंरिक स्वतन्त्रता से रह सकते हैं। हमारे गुरु, परमहंस योगानन्दजी, हमें याद दिलाते थे कि जीसस की आध्यात्मिक उपलब्धि एक अपवाद के रूप में प्रशंसा के लिए नहीं है, बल्कि एक उदाहरण है कि हमें जीवन में क्या बोध एवं उपलब्धि करनी है। और “क्रिसमस का भाव” या स्वर्गीय स्पन्दन जो इस शुभ अवसर पर पृथ्वी पर प्रसारित हो रहे हैं, वो क्राइस्ट समान गुणों की अभिव्यक्ति को आसान बनाते हैं : हमारी परवाह की सीमा को तुच्छ “मैं” से आगे विस्तारित करना; करुणा, समझ एवं क्षमा व्यक्त करना; सबमें अच्छाई व ईश्वर को देखना व विनम्रतापूर्वक सेवा करना। उस प्रत्येक आकांक्षा के विचार के साथ जिसे हम एक सद्कार्य में बदलते हैं, हम उस क्राइस्ट चेतना के निकट पहुँच जाते हैं, जिसमें जीसस रहते थे।

जीसस अपनी शक्ति, ज्ञान व सबके प्रति प्रेम को परमपिता से आंतरिक संपर्क की गहराइयों से प्राप्त करते थे; और हम भी निष्ठापूर्ण ध्यान एवं प्रार्थना द्वारा, उसी स्रोत से प्राप्त कर स्वयं में श्रेष्ठता को प्रदर्शित कर सकते हैं और अपने आज के समय के भेदभाव को दूर करने में सहायक हो सकते हैं। शांति हममें से प्रत्येक से शुरू होती है। इस मार्ग पर हमें उस कैवल्य दर्शन की कृपा भी प्राप्त है, जिसे 100 वर्ष पूर्व हमारे गुरु, जीसस व बाबाजी की आज्ञा पर, पश्चिम में लेकर आए, ताकि ईश्वर तथा सार्वभौमिक क्राइस्ट के साथ सम्पर्क साधने में हमारी सहायता हो — और क्राइस्ट पर केंद्रित क्रिसमस पर विशेष ध्यान सत्र आयोजन की एक अद्भुत परम्परा आरम्भ की। गुरूजी ने कहा था, “एक पूर्ण-दिवसीय क्रिसमस ध्यान सत्र का विचार वास्तव में क्राइस्ट ने ही मुझे दिया, ताकि वह आपके लिए कुछ कर सकें।” जब इस बार आप क्रिसमस पर ध्यान करें, तो विचार करें और परमहंसजी के ऊपर छपे प्रेरक शब्दों के विषय में सोचें। दिव्य प्रेम, शांति एवं आनंद रूपी क्राइस्ट-उपहारों के प्रति अपने हृदयों को खोलने से, वे आशीर्वादों के रूप में आपकी विस्तारित होती चेतना से बहकर, आपके परिजनों, मित्रों, आपके समुदाय और विश्व के साथ साझा होंगे।

आपको और आपके प्रियजनों को एक आनंदमय क्राइस्ट से भरपूर क्रिसमस की शुभकामनाएँ,

स्वामी चिदानन्द गिरि

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