क्रिसमस 2019 पर स्वामी चिदानन्द गिरि का संदेश

7 दिसंबर, 2019

 

प्रिय आत्मन्,

आपको तथा श्री श्री परमहंस योगानन्द के समस्त आध्यात्मिक परिवार एवं मित्रों को क्रिसमस की अनेक शुभकामनाएँ! मेरी प्रार्थना है कि आप क्राइस्ट-प्रेम की शांतिदायक, सामंजस्य प्रदान करने वाली ज्योति का अनुभव करें, जो इस आनंद की ऋतु में स्वर्गिक जगत से ग्रहणशील हृदयों में असाधारण दीप्ति के साथ प्रज्ज्वलित होती है।

अनंत कूटस्थ चैतन्य — ब्रह्म द्वारा सृष्टि में अभिव्यक्त एकीकृत प्रज्ञावान उद्देश्य – सभी प्राणियों, राष्ट्रों, जातियों, तथा धर्मों, जिन्हें ईश्वर एक समान प्रेम करते हैं, का एक परिवार की भाँति आलिंगन करता है। आइए हम यह स्मरण करने के लिए समय निकालें कि इस माया जगत में जो भी असमानताएँ हमें विभाजित करती हुई प्रतीत होती हैं, वे मात्र सतही हैं। वह सम्बंध जो हम सब, ईश्वर की संतानों की भाँति, एक दूसरे के साथ रखते हैं, अत्यधिक गहन है। “पृथ्वी पर शांति तथा सबके प्रति सद्भाव” के सार्वभौमिक क्रिसमस संदेश के द्वारा हमारे हृदयों का पुनः उत्थान हो। जीसस ने अपने जीवन में उसी समावेशी भावना तथा निःशर्त प्रेम को अभिव्यक्त किया; तथा यह हममें से प्रत्येक में पुनः जन्म ले सकती है।

जीसस क्राइस्ट अत्यंत अशांत समय में अवतरित हुए, तथा उन्होंने संसार के समक्ष यह सिद्ध किया कि प्रेम, उदारता, क्षमा, तथा दया की शक्ति घृणा की विध्वंसकता से अत्यधिक महान्, अत्यधिक स्थाई है। उनके उदाहरण से साहस प्राप्त करें, तथा यह अनुभव करें कि प्रत्येक अच्छे विचार तथा कर्म से, आप भी इस संसार में ईश्वरीय प्रेम में वृद्धि कर रहे हैं। “ईश्वर को अपने सम्पूर्ण हृदय, अपनी सम्पूर्ण आत्मा, अपने सम्पूर्ण मन, तथा अपनी सम्पूर्ण शक्ति से प्रेम करें; तथा अपने पड़ोसियों को उसी प्रकार से प्रेम करें जैसे आप स्वयं को करते हैं,” इस धर्मादेश — जिस पर जीसस ने अत्यधिक बल दिया — के अनुसार जब हम अधिक से अधिक जीने का प्रयत्न करते हैं, हमारे पूर्ण अस्तित्व में एक आश्चर्यजनक मुक्तिदायक, तथा चेतना को विस्तृत करने वाला रूपांतरण होने लगता है।

आध्यात्मिक चेतना के प्रेम एवं प्रकाश से अपने हृदयों तथा कर्मों को कैसे अनुप्राणित करें? एक मार्ग है कि, विशेष रूप से क्रिसमस के समय, गहनतापूर्ण तथा लम्बी अवधियों के ईश्वरीय समागम हेतु समय निकालें। मैं आपसे योगदा सत्संग आश्रमों/केन्द्रों/मंडलियों द्वारा आयोजित पूर्ण-दिवसीय क्रिसमस ध्यान में सम्मिलित होने — अथवा स्वयं आपके अपने घर में करने — का आग्रह करता हूँ। आंतरिक शांति के मन्दिर में जब हम समस्त प्रेम के स्रोत का स्पर्श करते हैं, हम अपने गुरुदेव के इन शब्दों में निहित सत्य का अनुभव करते हैं : “पवित्रता, शांति, स्वप्नातीत सुख, आपकी आत्मा में जगमगा रहे हैं एवं नृत्य कर रहे हैं। उस आंतरिक शांति को बाह्य पारलौकिक, अनंत शांति से सम्मिलन होने दें। आप उस शाश्वत प्रकाश में निमज्जित हैं। आपका सम्पूर्ण अस्तित्व क्राइस्ट की उस सर्वव्यापी पवित्र आभा से व्याप्त है। शरीर तथा श्वास से परे, आप क्राइस्ट शांति तथा आनंद का वह शाश्वत प्रकाश हैं।”

इस क्रिसमस के अवसर पर, सर्वव्यापी क्राइस्ट का प्रेम और शांति आपके जीवन में व्याप्त हो, एवं आपको, आपके प्रियजनों को, तथा उन सबको जिनके लिए आप प्रार्थना करते हैं, उनका आशीष प्राप्त हो।

दिव्य मैत्री में,

स्वामी चिदानन्द गिरि

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