क्रिसमस पर श्री श्री मृणालिनी माता का संदेश

December 9, 2016

क्रिसमस 2016

क्रिसमस के इस पावन अवसर पर सम्पूर्ण जगत अनंत क्राइस्ट के समस्त सृष्टि में व्याप्त उज्जवल प्रेम और आनन्द से वास्तविक रूप से धन्य हुआ है। मैं प्रार्थना करती हूँ कि यह आपके जीवन को नवीन आशा, एवं ईश्वर की अच्छाई और प्रेम की शक्ति में आस्था से रोशन कर दे, जो सदैव ग्रहणशील हृदयों पर अपना उत्थानात्मक, सामंजस्यपूर्ण प्रभाव डालती है। जीसस, जिनमें विश्वव्यापी क्राइस्ट चेतना [कूटस्थ चैतन्य] पूर्ण रूप से प्रकट हुई थी, के जन्मदिवस पर मनाया जाने वाला हमारा यह आनन्दोत्सव हम सब में यह अनुभूति जागृत करे कि हम भी ईश्वर के प्रकाश से उत्पन्न हुए हैं और इस संसार में उनकी असीम चेतना एवं प्रेम की शक्ति को प्रतिबिंबित करने की क्षमता से संपन्न हैं।

उस ईश्वरीय चेतना की सर्वशक्तिमत्ता उन सभी महान् लोगों के जीवन में प्रकट होती है, जिन्हें ईश्वर अपने बच्चों को उनके पास वापस लाने के लिए भेजते हैं। परन्तु उन्होंने प्रत्येक आत्मा के प्रति ईश्वर की सौम्यता, उनकी दया एवं असीम रूप से प्रेमपूर्ण संरक्षण को भी अभिव्यक्त किया। जीसस ने अपनी शक्ति का प्रयोग दूसरों पर शासन करने के स्थान पर सहायता करने के लिए किया; सेवा पाने के स्थान पर विनम्रतापूर्वक शारीरिक एवं आध्यात्मिक जरुरतमंदों की सेवा करने के लिए किया। उनके जीवन का सार्वभौमिक सन्देश यही है कि ईश्वर प्रेम हैं, और यह कि क्राइस्ट चेतना का मूल तत्त्व प्रेम है। हममें से ही एक के रूप में उनका जन्म सम्पूर्ण मानवता के लिए वास्तव में एक दिव्य उपहार है जो हमें विनम्रता, निस्वार्थता, और अशर्त प्रेम का वह मार्ग दिखाता है जो हमारी आत्माओं को गौरवशाली दिव्य क्षमता की अनंत परिपूर्णता की ओर ले जाता है। क्राइस्ट की भाँति उन विशिष्ट गुणों को विकसित करके, एवं अपने मन और हृदय की सीमा का उसी प्रकार विस्तार करके, हम बदले में उन्हें एक उपहार दे सकते हैं; और इस प्रकार उनके जन्म के आध्यात्मिक उत्सव में अधिक गहन स्तर पर सम्मिलित हो सकते हैं। “क्राइस्ट का जन्म दया के पालने में हुआ है,” गुरुजी ने हमें स्मरण कराया है। “प्रेम की दयापूर्ण शक्ति घृणा की विनाशकारी शक्ति से अधिक महान् है। दूसरों से आप जो भी कहें अथवा उनके साथ जो भी करें, वह प्रेमपूर्वक करिए। किसी को कष्ट मत पहुंचाइए। दूसरों की आलोचना मत करिए। किसी से भी घृणा मत करिए, सबसे प्रेम करिए; सभी में क्राइस्ट को देखिए। आपको जो भी आशीर्वाद मिले हैं, कामना करिए कि वे सभी को प्राप्त हों।” प्रत्येक आत्मा जो इन सिद्धांतों का पालन करती है उसे प्रथम क्रिसमस पर देवदूत द्वारा उद्घोषित वचन की पूर्ति का बोध होता है : सम्पूर्ण विश्व के साथ साझा करने के लिए उसके स्वयं के जीवन में शांति और मंगल हो।

असीम क्राइस्ट-प्रेम को पूर्णतया अनुभव करने के लिए जिससे जीसस जीवंत थे, हमें सम्पूर्णता के उस जल-स्त्रोत से पान करना होगा जिसने जीसस का पोषण किया था। इस क्रिसमस पर अपने भीतर अटूट मौन में गहरे उतरने के लिए एवं ध्यान तथा अन्तःसम्पर्क द्वारा दिव्य प्रेम एवं आनंद के उस उद्गम को खोजने के लिए समय निकालिए जो निरंतर उन परमात्मा से बहता है जो आपके अस्तित्व का मूल स्त्रोत हैं। जब यह आरोग्यकारी जल वियोग के अवरोध को धोकर मिटा देता है, तब आप अपनी विस्तृत होती चेतना में अनंत क्राइस्ट को ग्रहण करने के लिए स्थान बना लेते हैं। इस क्रिसमस उस दिव्य महिमा की कृपा और आशीर्वाद आपके हृदय में प्रवाहित हो और दूसरों को अपने असीम स्वरूप का अंश मानते हुए उनके साथ अपने आनन्द को साझा करने की कामना से आप्लावित हो।

आपको और आपके प्रियजनों को ईश्वर के प्रकाश और प्रेम से पूर्ण क्रिसमस की शुभकामनाएं।

श्री श्री मृणालिनी माता

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