नव वर्ष 2015 के अवसर पर स्वामी चिदानन्द गिरि का संदेश

31 दिसंबर, 2018

नववर्ष 2019

“नववर्ष के आगमन से सीमितताओं के समस्त बंद द्वार खुल जाएँगे जिनमें से निकलकर मैं अधिक विशाल क्षेत्रों में जाऊँगा, जहाँ मेरे जीवन के अर्थपूर्ण स्वप्न साकार होंगे।”
— श्री श्री परमहंस योगानन्द

नववर्ष में प्रवेश करते हुए, गुरुदेव परमहंस योगानन्द के आश्रमों से हम सब आपको और अपने सम्पूर्ण आध्यात्मिक परिवार एवं मित्रों को क्रिसमस और पूरे वर्ष दिव्य मित्रता की आपकी अभिव्यक्तियों के लिए अपनी हार्दिक सराहना के साथ प्रेमपूर्ण शुभकामनाएँ भेज रहे हैं। अपने नववर्ष के ध्यान में, हम आपके लिए विशेष प्रार्थनाएँ भेज रहे हैं कि आने वाले वर्ष में ईश्वर उन सभी योग्य लक्ष्यों को पूर्ण करने में आपकी सहायता करें जो आपके हृदय के अत्यंत निकट हैं।

ऊपर दिए गए गुरूजी के इस सुन्दर प्रतिज्ञापन को अपने मन में गहरे उतारें, और इस प्रकार उनके शब्दों के माध्यम से प्रवाहित होती दिव्य शक्ति को जो आपने गहराई से आत्मसात किया है उसे एक नवीन शुरुआत करने में आपकी सहायता करने दें। इससे अपनी इच्छा-शक्ति को ऊर्जित होने दें, और आपकी आत्मा के इस विश्वास को प्रकट करने दें कि ईश्वर की सहायता से आप सभी अवरोधों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। मुझे आशा है कि पिछले दिनों क्रिसमस ध्यान के दौरान, आपने अपने भीतर उस तरह का व्यक्ति बनने की असीम क्षमता को नए सिरे से महसूस किया होगा जैसा आप बनना चाहते हैं। अब उस प्रेरणा पर कार्य करने का यह एक शुभ समय है — अपने पोषित सपनों और आध्यात्मिक क्षमताओं को प्रकट वास्तविकताओं में बदलने के लिए अपने दृढ़ संकल्प को नए उत्साह से पूर्ण करना।

ध्यान या गहन प्रार्थना में किये गए संकल्पों में निश्चित शक्ति होती है, क्योंकि वे अधिचेतन मन की दिव्य सहायता से अनुप्राणित होते हैं। परमहंसजी ने एक या ऐसे कुछ सार्थक लक्ष्यों या आत्मिक गुणों पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी है, जिन्हें आप विशेष रूप से विकसित करना चाहते हैं — जैसे शान्ति या समचित्तता, या दूसरों के प्रति दया या सहानुभूति। आने वाले महीनों में जब आप ध्यान करें, तो अपनी अंतर्दृष्टि में उस लक्ष्य का मानस दर्शन करें, और योगदा प्रविधियों के अभ्यास से उत्पन्न शान्त ग्रहणशीलता में उसे महसूस करें; और एक सरल, सीधा प्रतिज्ञापन दोहराएँ कि आप जो पाना चाहते हैं वह आपके अस्तित्त्व का एक अंग बन गया है। तब जब भी आप, छोटे-छोटे तरीकों से भी, उसे अभिव्यक्त करेंगे जो आप बनना चाहते हैं, तो वह कल्पित संभावना अधिकाधिक साकार होती जाएगी। जितना अधिक आप प्रतिरोधक विचारों को दूर करते जाएँगे, और आत्म-संदेह को इस आत्म-विश्वास से प्रतिस्थापित करते जाएँगे कि आप सफल हो सकते हैं, उतनी ही अधिक शीघ्र आपकी प्रगति होगी। जागरूक रहकर जीना सीखें, यह जागरूकता बनाये रखें कि वह क्या है जो आपके जीवन की दिशा तय कर रहा है : आपकी आदतें, आपके सहयोगी और बाहरी वातावरण, या वास्तविक आप — आपकी आत्मा। याद रखें कि आपके पास प्रतिदिन, प्रतिपल यह तय करने की शक्ति है कि आप क्या सोचेंगे और क्या करेंगे। अपने आत्मज्ञान और स्वतंत्र इच्छा-शक्ति के बल से अपने विचारों और कर्मों का चयन करें; तब मुक्ति की ओर आपकी यात्रा को कुछ भी नहीं रोक सकता।

ईश्वर में आपके हृदय एवं मन की अधिक स्थिर तन्मयता प्राप्त करना इस नववर्ष का सर्वोत्तम संकल्प है। ईश्वर की विराट् शक्ति की सहायता से आप कुछ भी कर सकते हैं। उस आन्तरिक संपर्क के प्रकाश में, अवांछित आदतों के विन्यास को नष्ट किया जा सकता है; और ईश्वर के प्रेम के रूपान्तरकारी स्पर्श से, आप पर माया का प्रभाव अन्तत: छिन्न-भिन्न हो जायेगा। आप अपने विचारों और कर्मों के नियंता बन जाएँगे, और इस प्रकार अपने भाग्य के भी। गुरुजी ने हमें बताया है, “एक आत्म-विजेता बनना ही वास्तव में विजयी होना है — अपनी सीमित चेतना पर विजय प्राप्त करना और अपनी आध्यात्मिक शक्ति का असीमित विस्तार करना। आप जहाँ तक चाहें वहाँ तक जा सकते हैं, सभी सीमाओं से परे, और एक परम विजयी अस्तित्त्व प्राप्त कर सकते हैं।” मैं प्रार्थना करता हूँ कि इस नववर्ष में आपके प्रयास आपको उस परम विजय के और अधिक निकट ले जाएँ।

आपको एवं आपके प्रियजनों को नववर्ष परमानंदमय हो।
स्वामी चिदानन्द गिरि

शेयर करें