श्री दया माता का संदेश

सच्चे साधकों के साथ मिलकर ईश्वर पर ध्यान कर पाना आध्यात्मिक पथ का एक अनमोल आशीर्वाद है। सामूहिक ध्यान गुरुदेव के आश्रमों में रहने वाले भक्तों की दिनचर्या का एक मुख्य अंग है। इसके द्वारा मैंने जो आंतरिक सहायता प्राप्त की है तथा एक साथ मिलकर ध्यान प्रविधियों के सामूहिक अभ्यास और ईश्वर उपासना के प्रयासों द्वारा जो आध्यात्मिक प्रेरणा तथा प्रगति मैने प्राप्त की है, इसके लिए मैं हमेशा आभारी रहूँगी।

जब भक्त ध्यान के लिए एकत्र होते थे तो गुरुजी कितने प्रसन्न होते थे — चाहे वह सामूहिक ध्यान पूर्व-निर्धारित हो या फिर कुछ दिव्य मित्र ध्यान के लिए सहज रूप से एकत्र हो रहे हों। वे कहते थे कि उनके गुरु स्वामी श्रीयुक्तेश्वरजी उन्हें अच्छे साथियों के साथ ध्यान करने की, उन “आध्यात्मिक अंगरक्षकों” को अपने समीप रखने की सलाह देते थे। निरर्थक काम-काज, चंचलता, या आंतरिक उदासीनता हमें अपनी ईश्वर की खोज से भटका सकते हैं, और हमें प्रभु का विस्मरण करा सकते हैं। परन्तु जब हम दूसरों के साथ मिलकर ध्यान करते हैं, तो एक अद्भुत भक्तिमय वातावरण निर्मित होता है जिसमें प्रत्येक भक्त को दूसरों के उत्साह और एकाग्रता से दृढ़ता प्राप्त होती है। ईश्वर के लिए हमारा प्रेम बढ़ता है तथा दे हमारे लिए और भी अधिक वास्तविक बन जाते हैं, जीवन के नित्य-परिवर्तनशील बाह्य नाटक के अस्थायी आकर्षणों से कहीं अधिक संतोषप्रद। “सामूहिक ध्यान” गुरुजी ने कहा है, “एक किला है जो नवीन आध्यात्मिक महत्वाकांक्षियों के साथ-साथ अनुभवी ध्यान करने वालों की भी रक्षा करता है। एक साथ ध्यान करने से, सामूहिक चुम्बकत्व (group magnetism) के अदृश्य स्पन्दनों के आदान-प्रदान के नियमानुसार, समूह के प्रत्येक सदस्य के आत्मसाक्षात्कार की अवस्था में वृद्धि होती है।

यह जानकर कि आपमें से बहुत से भक्त अपने ध्यान मन्दिरों, केन्द्रों, तथा मंडलियों में सामूहिक ध्यान में शामिल होते हैं, और इससे प्राप्त स्थायी लाभों को बताते आपके पत्रों को पढ़कर, मुझे अत्यधिक आनंद होता है। अपनी साधना के इस अति-महत्वपूर्ण भाग को पूरे मन से करते रहिए। याद रखिए कि जब आप ईश्वर की खोज पूरे मन से, प्रेम से, और निःशर्त रूप से करते हैं, तो आप केवल अपनी ही सहायता नहीं करते, बल्कि आप इस पृथ्वी पर अधिक अच्छाई एवं ईश-चैतन्य की स्थापना में भी योगदान देते हैं। मिलकर ध्यान करने से, जो ईश-संपर्क आप मिलकर अनुभव करते हैं, उसके द्वारा आप एक नित्य-गहन होती मित्रता और सौहार्द्र के संबंध का निर्माण करते हैं।

ईश्वर का प्रेम आपको प्राप्त हो,

 

श्री दया माता

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