जहाँ कृष्ण हैं, वहीं विजय है

वाईएसएस संन्यासी द्वारा हिन्दी में प्रवचन

रविवार, 28 जनवरी, 2024

सुबह 11:00 बजे से

– दोपहर 12:00 बजे तक

(भारतीय समयानुसार)

कार्यक्रम के विवरण

“प्रत्येक व्यक्ति को कुरुक्षेत्र की अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी है। यह युद्ध मात्र जीतने के योग्य ही नहीं, अपितु विश्व के दिव्य नियम एवं आत्मा और परमात्मा के शाश्वत सम्बन्ध में है, एक ऐसा युद्ध है जिसे कभी ना कभी तो जीतना ही पड़ेगा।”

— परमहंस योगानन्द

इसी विषय पर वाईएसएस संन्यासी द्वारा दिए गए एक प्रवचन में हमने यह जाना कि कैसे हमारे अंदर अच्छी और बुरी आदतों के बीच छिड़े इस “युद्ध” में अंततः उनकी विजय सुनिश्चित है जो अपने आध्यात्मिक मार्ग पर अडिग रहेंगे। इस सत्संग में स्वामीजी ने वे साधन भी साझा किए जिनकी सहायता से आत्मा इस “युद्ध” में विजयी होगी।

महाभारत में कई बार दोहराए जाने वाले ये शब्द — “यतः कृष्णस्ततो जयः” (“जहाँ कृष्ण हैं, वहीं विजय है”) — आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले सभी निष्ठावान भक्तों को इस “युद्ध” में विजय का आश्वासन देते हैं। इसी प्रकार, यदि हम भगवान् कृष्ण की शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं तब हम धर्म का पालन करते हैं; और जैसा कि श्रीमद्भागवाद गीता कहती है — जहाँ धर्म है, वहीं विजय है।

इस हिन्दी सत्संग का सीधा प्रसारण साधना संगम के दौरान वाईएसएस राँची आश्रम से किया गया।

नवागंतुक

परमहंस योगानन्दजी और उनकी शिक्षाओं के बारे में और अधिक जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर जाएँ :

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