वाईएसएस संन्यासियों का राष्ट्रपति भवन दौरा

16 दिसम्बर, 2022

स्वामी स्मरणानन्द गिरि एवं ब्रह्मचारी आद्यानन्द ने माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से 9 नवम्बर, 2022 को भेंट की। उन्होंने वाईएसएस संन्यासियों का अभिनंदन करते हुए योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया द्वारा किए जा रहे आध्यात्मिक व धर्मार्थ कार्यों की सराहना की। परमहंस योगानन्दजी के प्रति श्रद्धा एवं आदर व्यक्त करते हुए उन्होने कहा “परमहंस योगानन्दजी का मुखमंडल एक भिन्न प्रकार की आभा से प्रदीप्त है। उन्होने मानवता को वह दिया जिसकी विश्व को रोटी, कपड़ा और मकान से कहीं अधिक आवश्यकता है। वे एक महान् ऋषि थे और अन्य महात्माओं की ही तरह उन्होंने भी कम आयु में शरीर त्याग दिया,परंतु उनकी आध्यात्मिक पूंजी अपार है। मुझे वाईएसएस आश्रम राँची आने पर सदैव एक दिव्य स्पंदन की अनुभूति हुई, विशेषकर परमहंसजी द्वारा लगाए गए लीची के वृक्ष के समीप, जहाँ मैने सदा यह अनुभव किया कि ये लीचियाँ अन्य लीचियोँ से भिन्न हैं और यह विचार मेरे मन को सदैव उल्लासित करता रहा।”

वाईएसएस संन्यासियों ने राष्ट्रपतिजी को फूलों के गुलदस्ते के साथ वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष श्री श्री स्वामी चिदानन्द का एक पत्र, ‘इन्नर रिफ्लेकशन्स’ — एसआरएफ़ एंगेज्मेंट कॅलेंडर, और वाईएसएस की पिक्टोरियल हिस्ट्री भेंट की।

झारखंड की राज्यपाल रहते हुए राष्ट्रपतिजी दो बार वाईएसएस राँची आश्रम आईं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2016 के उपलक्ष्य में वे मुख्य अतिथि रहीं और उस अवसर पर उन्होंने परमहंस योगानन्दजी के प्रति अपना आभार व सम्मान व्यक्त किया। जीवन में गुरु द्वारा दी गयी शिक्षा के महत्त्व को बताते हुए उन्होंने कहा — आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना कठिन है और उसके बिना भौतिक सफलता निरर्थक है।

नवम्बर 2017 में ‘ईश्वर अर्जुन संवाद’ के हिन्दी संस्करण विमोचन के अवसर पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के साथ भाग लेते हुए, उन्होंने भारत की पुरातन आध्यात्मिक परम्परा का संरक्षण करने के लिए तथा गुरुदेव द्वारा प्रतिपादित व्यावहारिक व मोक्षदायी शिक्षा का प्रसार करने के लिए वाइएसएस की भूमिका के प्रति अपनी गहन कृतज्ञता व्यक्त की।

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