वाईएसएस संगम 2023

10 मार्च, 2023

विश्वव्यापी महामारी के लगभग तीन वर्षों के बाद, वर्ष 2023 भारत और दुनिया भर के वाईएसएस/एसआरएफ़ परिवार के भक्तों के लिए आशा, आनंद और आशीर्वादों की नई किरणें लेकर आया है। हमारा अभिप्राय योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़ रियलाईज़ेशन फ़ेलोशिप के आध्यात्मिक प्रमुख तथा अध्यक्ष श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि की 22 जनवरी से 28 फ़रवरी 2023 के दौरान आयोजित हुई भारत यात्रा से है। स्वामीजी ने अपने असीम प्रेम, करुणा, और ज्ञान-संचारित वचनों से भक्तों के दिलों को छू लिया, जिसने उनके मार्ग में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का आध्यात्मिक जीवन सुद्रढ़ किया और उनके भीतर ईश्वरीय आकांक्षा को जागृत किया। अपने महीने भर के दौरे के दौरान, स्वामी चिदानन्दजी ने नोएडा, राँची और दक्षिणेश्वर में वाईएसएस आश्रमों का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने रविवार-सत्संग को संचालित किए और कई अन्य विशेष कार्यक्रमों की अध्यक्षता की। परन्तु स्वामीजी के दौरे का मुख्य आकर्षण था हैदराबाद के समीप आयोजित हुआ पाँच-दिवसीय वाईएसएस संगम। 3200 से अधिक भक्तों ने पूरे भारत और अन्य देशों से आकर इस कार्यक्रम में भाग लिया। संगम का आयोजन कान्हा शांति वनम् परिसर में किया गया था, जहाँ हरे-भरे लॉन, मुस्कुराते हुए पुष्प-समूह और छायादार पेड़ों की कतारें सभी ओर शांति और आनंद बिखेर रहीं थीं।

संगम प्रतिभागियों ने प्रतिदिन सुबह और शाम का सामूहिक ध्यान, आध्यात्मिक प्रवचन, कीर्तन और वाईएसएस ध्यान प्रविधियों पर पुनरवलोकन कक्षाओं में हिस्सा लिया। स्वामी चिदानन्दजी के साथ तीन घंटे का विशेष ध्यान इस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण था।

उद्घाटन सत्र के दौरान, स्वामी चिदानन्दजी ने जीवन की चुनौतियों का सामना करने और अपनी उच्चतम क्षमताओं को हासिल करने पर एक प्रेणनाप्रद प्रवचन दिया। स्वामीजी ने भक्तों से “हमारे दिव्य और श्रद्धेय सद्गुरु परमहंस योगानन्दजी के आशीर्वाद से ओतप्रोत क्रियायोग ध्यान के अभ्यास द्वारा प्राप्त होने वाली ईश्वरीय अनुभूति में अधिकाधिक शरणागति और शाश्वत आश्रय लेने का आग्रह किया।” स्वामीजी ने अपने समापन सत्संग में भक्तों को संगम के आशीर्वाद को अपने साथ वापस ले जाने के लिए प्रोत्साहित किया, और उन्हें बताया कि वे ध्यान के दैनिक अभ्यास के माध्यम से और ईश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करके यह संभव कर सकते हैं। उन्होंने विश्व मंच पर भारत की प्राचीन सभ्यता और दिव्य ज्ञान की भूमिका की सराहना की। स्वामी चिदानन्दजी ने समझाया कि कैसे हममें से प्रत्येक “भारत की आध्यात्मिकता के स्वर्ण युग और उभरती हुई वैश्विक सभ्यता के बीच एक जीवंत कड़ी” बन सकता है। उन्होंने सभी से अपने अन्तर में प्रवेश करने का आग्रह किया जहाँ भगवान् प्रत्येक आत्मा को अत्यधिक स्नेह से गले लगाने के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।

कई अन्य वरिष्ठ वाईएसएस और एसआरएफ़ संन्यासियों ने भी परमहंस योगानन्दजी की आदर्श-जीवन शिक्षाओं पर आधारित प्रेणनाप्रद प्रवचन अंग्रेज़ी और हिंदी में संचालित किए। इन कक्षाओं में शामिल किए गए विषय थे “क्षमा की आरोग्यकारी शक्ति”, “आंतरिक और बाह्य जीवन में शांति स्थापित करना”, “ईश्वर आपके उतना ही समीप हैं जितना कि आपके विचार उन्हें आने देते हैं”, और “ध्यान के माध्यम से शक्ति और ज्ञान के आंतरिक स्रोत से जुड़ना”।

संगम के मुख्य कार्यक्रमों में से एक था : चार अलग-अलग स्थानों पर एक साथ अंग्रेज़ी और हिंदी में आयोजित किया जाने वाला पवित्र क्रियायोग दीक्षा समारोह। इन सभी स्थानों पर श्रद्धेय स्वामी चिदानन्दजी ने भक्तों पर गुरुओं के आशीर्वाद से संचारित गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा की।

संगम के दौरान स्वामीजी ने वाईएसएस के कई प्रकाशनों का विमोचन भी किया। स्वामी चिदानन्दजी और अन्य संन्यासियों के प्रवचन, और साथ ही दैनिक-ध्यान के सत्र, पूरे भारत और दुनिया भर के हज़ारों भक्तों द्वारा देखने के लिए लाइव-स्ट्रीम किए गए थे। ये कार्यक्रम अब भी वाईएसएस यूट्यूब चैनल पर देखने के लिए उपलब्ध हैं।

गुरु-सेवा की प्राचीन भारतीय परंपरा का उदाहरण देते हुए, सैकड़ों वाईएसएस भक्तों ने इस भव्य कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए महीनों तक संन्यासियों के साथ मिलकर अथक परिश्रम किया। संगम के दौरान भक्तों के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं, जिनमें सम्मिलित था : प्रांगण के भीतर ही भोजन की उपलब्धता; हज़ारों भक्तों के लिए ठहरने की व्यवस्था; हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशनों, बस टर्मिनलों के लिए और आसपास के होटलों और गेस्ट हाउसों से दैनिक आवागमन; हेल्प-डेस्क और चिकित्सा सुविधाएं; वरिष्ठ संन्यासियों द्वारा व्यक्तिगत आध्यात्मिक-परामर्श; वॉलन्टरी लीग़ ऑफ़ डिसाईपल्स (वीएलडी) और क्रियायोग दीक्षा के लिए पंजीकरण बूथ; वाईएसएस प्रकाशनों की विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित करने वाला बुक स्टॉल; और भक्तों के लिए विश्राम पंडाल।

हैदराबाद में आयोजित होने वाला वाईएसएस संगम एक अत्यंत-प्रभावशाली अनुभव था जिसने भक्तों को आध्यात्मिक उत्साह से भर दिया और उनके दिलों में ईश्वर-प्रेम की ज्योति फिर से जगा दी।

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