परमहंस योगानन्दजी द्वारा “संसार में और अधिक दिव्य प्रकाश लाना”

21 दिसम्बर, 2023

एक परिचय :

वर्ष के इस समय में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बहुत से लोग जो दिव्य प्रकाश को इस विश्व का अभिन्न अंग मानते हैं — और समझते हैं कि वह प्रकाश हमें उन्नत और वहन करने की शक्ति रखता है, एकाग्रता और शांति के साथ अनुष्ठानों और सुमिरन में मग्न रहते हैं।

इस धरती पर, वह शक्तिशाली उपस्थिति श्रीकृष्ण और ईसा मसीह जैसी महान् आत्माओं के अवतारों में किसी भी अन्य तरीके से अधिक प्रकट होती है, जो दिव्य प्रकाश और गहरी प्रेरणा के अवतार के रूप में हमारे पास आते हैं — और इस युग में, आत्मज्ञान तक पहुँचने के तरीके जो उन्होंने स्वयं प्राप्त किए हैं, वे हमारे लिए लेकर आए हैं।

अन्ततोगत्वा, महान् जन हमें याद दिलाने के लिए आते हैं कि हम उनके जैसा बन सकते हैं और हमें उनके जैसा बनना चाहिए — ताकि हम सर्वोच्च आनन्द प्राप्त कर सकें और विश्व आध्यात्मिक रूप से विकसित हो सके!

संघमाता और वाईएसएस/एसआरएफ़ की चौथी अध्यक्ष श्री मृणालिनी माता ने साझा किया कि परमहंसजी कहते थे कि ईश्वर की संतान के रूप में हमें भी “प्रकाश के दूत बनने, दुनिया-भर में दिव्य प्रेम और भाईचारा फैलाने” का प्रयास करना चाहिए। बाकी सभी चीज़ों की तरह, इसमें भी समय और अभ्यास की आवश्यकता होती है।

अवकाश के सभी आयोजनों के बीच, हम आपको कुछ पल रुक कर इस पर विचार करने के लिए कहते हैं कि वास्तव में अपने भीतर के दिव्य प्रकाश से जुड़ने और “प्रकाश के दूतों” में से एक बनने का अर्थ क्या है, जिसकी विश्व को आवश्यकता है।

परमहंस योगानन्दजी के प्रवचनों एवं लेखन से :

जिस प्रकार सिनेमाघर के परदे पर दिखाई देने वाले चित्र अपने अस्तित्व के लिए प्रक्षेपक कक्ष (प्रोजेक्शन बूथ) से आनेवाली प्रकाश किरणों पर निर्भर होते हैं, उसी प्रकार, हम सब अपने अस्तित्व के लिए ब्रह्माण्डीय किरणों पर, अनन्तता के प्रक्षेपक कक्ष से निकलने वाले दिव्य प्रकाश पर निर्भर हैं।

एक गुफ़ा में सहस्रों वर्ष तक अँधकार का शासन हो सकता है, परन्तु अन्दर प्रकाश को लाते ही, अँधकार ऐसे लुप्त हो जाता है, जैसे वह कभी था ही नहीं।…आप गहन ध्यान में अपने आध्यात्मिक नेत्र को खोलकर, अपनी चेतना को इसके सब कुछ प्रकट करने वाले दिव्य प्रकाश से भरते हुए, इसे दूर भगा सकते हैं।

प्रत्येक वर्ष क्रिसमस के समय क्राइस्ट-प्रेम और आनन्द के सामान्य से अधिक प्रबल स्पंदन स्वर्गीय क्षेत्रों से पृथ्वी पर प्रवाहित होते हैं। आकाश उस अनंत प्रकाश से भर जाता है जो जीसस के जन्म के समय पृथ्वी पर चमका था। वे व्यक्ति जो भक्ति और गहन ध्यान के माध्यम से लय में हैं, वे क्राइस्ट जीसस में विद्यमान सर्वव्यापी चेतना के परिवर्तनकारी स्पंदनों को आश्चर्यजनक रूप से मूर्त रूप में अनुभव करते हैं।

अंधकार प्रकाश का अभाव है। भ्रम अंधकार है; वास्तविकता प्रकाश है। आपकी ज्ञान की आंखें बंद हैं, अतः आपको केवल अंधकार ही दिखाई देता है; और आप उस भ्रम में पीड़ित हैं। अपनी चेतना बदलें; अपनी आँखें खोलें और आप तारों में उस दिव्य प्रकाश की चमक देखेंगे। अंतरिक्ष के प्रत्येक परमाणु में आप ईश्वर की हँसी के प्रकाश की चमक देखेंगे। हर विचार के पीछे आप उनके ज्ञान के सागर का अनुभव करेंगे।

[प्रतिज्ञापन करें :] “मैं जानता हूँ कि मैं आपकी भद्रता के प्रकाश में एक हूँ। जो दुःख के सागर में फेंके गए हैं, मैं उन लोगों के लिए एक प्रकाशस्तंभ बन सकूँ।”

ईश्वर की अलौकिक शक्ति मेरे अंदर प्रवाहित होती है : मेरी वाणी से, मेरे मस्तिष्क से, मेरी कोशिकाओं से, मेरी चेतना के प्रत्येक कण से — प्रत्येक विचार एक माध्यम है जिसके माध्यम से उनका दिव्य प्रकाश प्रवाहित हो रहा है। अपने हृदय खोलो और अनुभव करो कि दिव्य प्रकाश आपके मध्य से भी प्रवाहित हो रहा है। जैसा मैं अनुभव करता हूँ, वैसा ही तुम भी अनुभव करो; जैसा मैं देखता हूँ, वैसा ही तुम भी देखो।

जागो! अपनी आँखें खोलो और तुम ईश्वर की महिमा के दर्शन करोगे — ईश्वर के प्रकाश का विशाल दृश्य, जो सभी वस्तुओं पर छाया हुआ है। मैं तुम्हें दिव्य यथार्थवादी बनने को कह रहा हूँ। और तुम ईश्वर में सभी प्रश्नों के उत्तर पा लोगे। ध्यान ही एक मात्र मार्ग है।

वाईएसएस वेबसाइट पर आप क्रिसमस के गहन उत्सव पर परमहंस योगानन्दजी के और अधिक ज्ञान का एक ब्लॉग पोस्ट पढ़ सकते हैं — सृष्टि के हर कण में और हम में से प्रत्येक के भीतर रहने वाले ईश्वर की सार्वभौमिक चेतना की अनंत चेतना के साथ स्वयं को जोड़ना।

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