चिले में भूकंप पर श्री श्री दया माता का विशेष संदेश

मार्च 2010

प्रिय आत्मन्,

मेरा हृदय चिले में आए भूकंप और उस विनाश से प्रभावित और पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति के साथ है। जैसे ही हमें इस दुखद घटना का पता चला, हम सभी गुरुदेव के आश्रमों में भूकम्प से प्रभावित लोगों के लिए प्रार्थना करने लगे। मुझे विश्वास है कि आप में से बहुत लोग ऐसा ही कर रहे हैं। मैं आप सबको उनके लिए प्रार्थना करने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ। हृदय की पीड़ा और भय से मुक्ति हेतु प्रार्थना सर्वोत्तम उपाय है, जब कभी प्रकृति की इस प्रकार की अप्रत्याशित आपदाओं से हमारा जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है, और वे आपदाएं जीवन को बाधित कर हमारी सुरक्षा की भावना को झकझोर देती हैं। अंतर्मुखी होकर, हम ईश्वर की ओर मुड़ कर, उसकी शांति, उसके ईश्वरीय प्रेम और उसकी असीम सहायता की शक्ति प्राप्त कर लेते हैं। हमारा हृदय और मस्तिष्क ईश्वर के आशीर्वाद के लिए अनावृत्त हो जाता है और उन आत्माओं की विशेष आवश्यकताएं होने पर हम उनके लिए गहन करुणा अनुभव करते हैं।

जैसा कि गुरुदेव ने बताया है, कि हम परिवर्तन के एक संक्रांति काल से गुज़र रहे है; जिसे पार करके हम एक उच्च युग में पहुँचेंगे और उन्हें पूर्वानुमान था कि इस परिवर्तन के मध्य हम कुछ चुनौतियों का सामना करेंगे। उन्होंने इस बात पर बल दिया था कि उन कठिनाइयों को कम किया जा सकता है, और अंत में विजय प्राप्त होगी और यह उन लोगों के प्रयासों से संभव है जो ईश्वर में विश्वास करते हैं और अपने जीवन में ईश्वर की साधुता को व्यक्त करते हैं। हमें द्वैत से भयभीत नहीं होना है, जो माया के इस संसार का अभिन्न अंग है बल्कि हमें यह ज्ञान प्राप्त करना है कि हम जो परम सुरक्षा और भलाई चाहते हैं, वह केवल अंतर्मुखी होकर ही प्राप्त हो सकती है — हमारे सृजनकर्ता ईश्वर में पूर्ण विश्वास के साथ शरण लेने से, चाहे किन्हीं बाह्य परिस्थितियों का सामना क्यों न करना पड़े। गुरु जी ने हमें बताया है कि, “ईश्वर प्रेम है, उसकी रचना की योजना केवल प्रेम में ही निहित हो सकती है।…प्रत्येक संत नें जो सत्य के मूल में प्रवेश पा गया है, यह सत्यापित किया है कि एक दिव्य सार्वभौमिक योजना अस्तित्त्व में है और यह योजना सौंदर्य और आनंद से परिपूर्ण है।” आइए, हम साहस के साथ आगे बढ़ें और अपने विचारों और रचनात्मक इच्छा शक्ति का उपयोग करके ईश्वरीय योजना में सहयोग करें और स्वयं अपनी और अन्य सभी की सहायता करें एवं सभी अभावग्रस्तों के लिए प्रार्थना करें। ऐसा करने से हम न केवल अपनी आत्मा के विकास में प्रगति करेंगे, बल्कि इस संसार में उत्तरोतर होने वाले सकारात्मक परिवर्तन में भी योगदान करेंगे।

हमारे सम्मुख जो भी अनुभव आते हैं उन सभी की कुछ भूमिका होती है, हमें अपने शाश्वत मित्र एवं रक्षक ईश्वर की ओर आकृष्ट कर उसके और अधिक निकट लाने की, और हमें यह जानने में भी सहायता मिलती है कि हमारी आत्मा में किसी भी परिस्थिति से जूझने की असीम क्षमता है। मैं आप में से प्रत्येक को सुरक्षा प्रदान करने वाले ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ, कि वो आपको स्वयं से सम्बद्ध करने के आपके प्रयासों को आशीर्वाद प्रदान करे, और वह सभी जो इस संसार में पीड़ित हैं, ईश्वर की आरोग्यकारी शांति का अनुभव करें।

ईश्वर आपको प्रेम और आशीर्वाद दे,

श्री दया माता

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