नव वर्ष 2015 के अवसर पर श्री श्री मृणालिनी माता का संदेश

“स्वयं को जीतने वाला सही अर्थों में विजयी होता है — अपनी संकुचित चेतना को जीत कर और अपनी आध्यात्मिक शक्तियों का असीमित विस्तार करके। सभी सीमाओं को पार करके आप जितनी दूर तक जाना चाहें जा सकते हैं और शानदार विजयी जीवन जी सकते हैं।”

— परमहंस योगानन्द

जैसे ही हम नव वर्ष में प्रवेश करते हैं, गुरुदेव परमहंस योगानन्दजी के आश्रम में हम सबकी चेतना उन्नत होती है, और हम सच्ची आत्माओं के बढ़ते हुए परिवार के बारे में सोचने के लिए प्रेरित होते हैं जो उनकी शिक्षाओं में निहित उस कालातीत सत्य का अभ्यास कर रहे हैं, जो स्वयं और दूसरों के लिए प्रसन्नता और दैवी समस्वरता लाती है। हम उन आदर्शों के प्रति आपकी निष्ठा और आपकी छुट्टियों में भेजी गई दिव्य मैत्री भरी शुभकामनाएं और स्मृतियाँ, और पूरे साल आपकी सहायता के लिए धन्यवादी हैं। हमारी प्रार्थनाओं में हम हर दिन विनती करते हैं कि भगवान आपके महान संकल्प और उनके प्रकाश और प्रेम को जीवन में भरने के लिए जो कुछ भी आप करते हैं, आशीर्वाद दें। नव वर्ष के इस शुभ समय पर हम सकारात्मक परिवर्तन के लिए एक उत्साह महसूस करते हैं जो हमारी इच्छा-शक्ति को तथा हमारी आत्माओं की असीम क्षमता में हमारे विश्वास को प्रबल बनाता है। यह उपयुक्त समय है अपने क्षितिजों का विस्तार करने का; “मैं कर सकता हूँ” की चेतना को जगाने का — अपनी मानवीय अपूर्णताओं पर ध्यान न देकर, स्वयं को वैसा देखने पर अपना ध्यान केन्द्रित करने का जैसा ईश्वर हमें देखते हैं: उनकी सत्ता की एक ऐसी विशिष्ट अभिव्यक्ति, जो उनके दिव्य गुणों को अभिव्यक्त करने में समर्थ है। स्वयं को सुधारने के प्रयासों के दौरान इस दृष्टिकोण को बनाए रख कर, हम अपने भीतर के दिव्य विजेता को प्रकट करते हैं। अपने जीवन का नियंत्रण स्वयं करने के लिए ईश्वर ने हमें स्वतंत्र इच्छा-शक्ति का उपहार दिया है। इसी क्षण से यह संकल्प लीजिए कि आप उस दिव्य उपहार का सदुपयोग करेंगे, और आप देखेंगे कि आप जो पा सकते हैं उसकी कोई सीमा नहीं है। गुरुदेव ने हमें बताया है : “यह चुनाव करने की क्षमता आप में है कि आप कितनी निर्मलता, प्रेम, सुंदरता, एवं दिव्य आनंद को अभिव्यक्त करेंगे, केवल अपने कर्मों के द्वारा ही नहीं, बल्कि अपने विचारों, भावनाओं, और अभिलाषाओं में भी।” जब हम यह जान जाते हैं कि किस प्रकार के मानसिक साँचे हमने निर्माण कर लिए हैं — लोगों तथा परिस्थितियों के प्रति अपनी प्रतिक्रियाओं के साँचे, जीवन की प्राथमिकताओं के निर्धारण एवं समय के उपयोग के साँचे, तथा जीवन के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाले विचारों एवं मनोवृत्तियों के सूक्ष्म तत्त्वों के साँचे — तब हम अपनी ईश्वर-प्रदत्त स्वतंत्रता का दृढ़तापूर्वक उपयोग कर सकते हैं, ताकि हम अपने जीवन में और अधिक अच्छा कर सकें, तथा ईश्वरीय प्रेम एवं आनंद को और अधिक अभिव्यक्त कर सकें। यदि दैनिक जीवन की छोटी छोटी बातों में भी हम अपनी सोच एवं व्यवहार को लगातार एक सकारात्मक दिशा में ले जायें — अपनी आदतों, इंद्रिय-जन्य आवेगों, या भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को हावी न होने देकर — तो हम स्वयं में ऐसे परिवर्तन ला सकते हैं जो हमारे लिए और हमारे आस-पास के अन्य लोगों के लिए बहुत अधिक हितकारी होंगे, तथा जो ईश्वर के सदा-विद्यमान आशीर्वादों के प्रति हमारी ग्रहणशीलता का विस्तार करेंगे। ईश्वर चाहते हैं कि हम स्वयं अपनी मुक्ति में एक सक्रिय भूमिका निभायें। फिर भी हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति को सीमित करने वाली अहं एवं आदतों की बाधाओं को हटाने में हमारी सहायता करने के लिए उनसे अधिक उत्सुक और कोई भी नहीं है। गहन ध्यान एवं ईश्वर के साथ अपने जीवन को सुसंगत बनाने के हमारे नित्य प्रयासों द्वारा पोषित ईश्वर के साथ हमारा यह आंतरिक संबंध ही है जो उनकी रूपांतरकारी शक्ति को ग्रहण करने के लिए हमारी चेतना के द्वारों को पूरी तरह खोल देता है। जैसे-जैसे ईश्वर में आपका विश्वास गहरा होता जाएगा, उनके द्वारा आपकी प्रगति के लिए दिए गए अवसरों को आप पहचानने लगेंगे — उन परिस्थितियों में भी जो आप के विश्वास तथा धैर्य की परीक्षा लेती हैं। जिस प्रकार एक निपुण शिल्पी द्वारा पत्थर के व्यर्थ भाग को हटा देने के बाद संगमरमर के शिला खंड से एक सुंदर कलाकृति उभर कर आती है, उसी प्रकार ईश्वर की सर्वशक्तिमान इच्छा-शक्ति के साथ अपनी इच्छा-शक्ति को मिलाने से तथा आपके जीवन को तराशने वाले दिव्य शिल्पी के साथ सहयोग करने से माया के आवरण को हटा कर आपकी आत्मा की शुद्ध प्रकृति उभर कर आती है।

 आपको तथा आपके प्रियजनों को ईश्वर के आशीर्वादों एवं प्रेम से भरपूर नव वर्ष की शुभ कामनायें।

श्री श्री मृणालिनी माता

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