कृतज्ञता और आभार के अभ्यास पर परमहंस योगानन्द

22 नवम्बर, 2023

परमहंस योगानन्द-3326

कृतज्ञता एवं प्रशंसा का भाव आपकी चेतना में आध्यात्मिक विकास एवं आपूर्ति का मार्ग खोल देता है। जैसे ही उसके प्रवाहित होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है, परमात्मतत्त्व या ब्रह्म स्वयं को गोचर अभिव्यक्ति में प्रकट करने के लिए उस मार्ग के द्वारा बाहर आते हैं। आपको प्रत्येक वस्तु के लिए सर्वदा कृतज्ञ रहना चाहिए। इसे समझिए कि सोचने, बोलने एवं कार्य करने की शक्ति आपको ईश्वर से ही मिलती है; वे अभी भी आपका मार्गदर्शन करते हुए, आपको प्रेरणा देते हुए, आपके साथ ही हैं।

अपनी आँखें खोलें और अपने जीवन के आशीशों की तरफ़ देखें जो अभी आपके पास हैं, और फिर जब आपके जीवन में कोई नवीन आशीर्वाद प्रकट हो तो उसे पहचानने के लिए सदा सतर्क और सचेत रहें। परमपिता के साथ भक्तिपूर्ण भाव से बात करें और जीवन के सभी आशीर्वादों के लिए उन्हें धन्यवाद दें। वे सदा आपके साथ हैं, और यदि आप अंतर में स्थित उस दिव्य शक्ति के प्रति सचेत रहते हैं तो कुछ भी आपकी सफलता के आड़े नहीं आ सकता।

उन सर्वेश्वर को हमारी कृतज्ञता की आवश्यकता नहीं होती, चाहे वह हृदय की कितनी ही गहराई से आए, परन्तु जब हम उनके प्रति कृतज्ञता का अनुभव करते हैं, तब हमारा मन समग्र निधि के उस परम स्त्रोत पर एकाग्र हो जाता है। इसमें हमारा अपना ही कल्याण है।

आप अपने अनेक आशीर्वादों के लिए हर दिन आभारी रहें, न कि केवल तब जब कैलेंडर आभार व्यक्त करने का-समय इंगित करता है। आपकी कृतज्ञता का आधार भौतिक समृद्धि नहीं होना चाहिए। चाहे आपकी सांसारिक संपत्ति बहुत अधिक हो या कम, आप फिर भी ईश्वर के उपहारों से समृद्ध हैं। उनसे उन बाहरी वस्तुओं के लिए प्रेम न करें जो वह तुम्हें दे सकते हैं, बल्कि स्वयं को अपने पिता के रूप में तुम्हें दिए गए उनके उपहार के लिए।

मेरा हृदय उनकी दयालुता के प्रति कृतज्ञता से अभिभूत है। उन्होंने मुझे वह सब कुछ दिया है जिसकी मैंने इस संसार में इच्छा की, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने स्वयं को प्रदान किया है। मैं कृतज्ञता से अभिभूत हूँ! वो जो मेरे हृदय में लुका-छिपी खेलते थे, अब हमेशा पास रहते हैं। वे सभी “वास्तविक” अभिव्यक्तियों के अहंकार के पीछे छिपे हुए हैं। वह पहले से ही उपस्थित आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। तुम्हें कष्ट सहने की कोई आवश्यकता नहीं है। उनके पास आओ। परमप्रिय आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं; उसकी खुली भुजाएँ आपको स्वीकार करने, आपको आध्यात्मिक बनाने और आपको अमर बनाने के लिए प्रतीक्षारत हैं।

शेयर करें